रायपुर पुलिस ने 4 गुड सेमेरिटंस (नेक व्यक्तियों) को दिया अवॉर्ड, हादसों में घायल लोगों की बचाई थी जान, शहर में लगेंगे फोटो-पोस्टर

Chhattisgarh Crimes

रायपुर। राजधानी रायपुर की पुलिस गुड सेमेरिटंस (नेक व्यक्तियों) को अवॉर्ड दिया है। एसएसपी संतोष सिंह ने सड़कों पर बड़े फ्लैक्स में इनके फोटो लगवाने के निर्देश दिए हैं। इससे अन्य लोग भी सड़क हादसे में घायलों की मदद के लिए मोटिवेट होंगे। पुलिस ने सोमवार को 4 गुड सेमेरिटंस को सम्मानित किया, जिन्होंने अलग-अलग मौकों पर घायलों की जान बचाने में मदद की थी।

दरअसल, सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने और घायलों को तुरंत इलाज उपलब्ध करवाने वाले व्यक्तियों को उच्चतम न्यायालय ने गुड सेमेरिटंस अर्थात नेक व्यक्ति की संज्ञा दी है। साथ ही इन्हें मोटिवेट और इनाम देने के लिए भी निर्देशित किया है।

रायपुर SSP ने कहा- बड़े फ्लैक्स में फोटो लगवाएं

रायपुर SSP संतोष कुमार सिंह ने सड़क दुर्घटना में घायलों की तुरंत हेल्प कर जान बचाने वाले 4 गुड सेमेरिटंस को कंट्रोल रूम में सम्मानित किया गया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इन सेमेरिटंस की फोटो बड़े होर्डिंग में लगाएं, ताकि अन्य लोग भी मोटिवेट हो सकें। इस कार्यक्रम में ASP ट्रैफिक ओमप्रकाश शर्मा समेत ट्रैफिक DSP सुशांतो बैनर्जी भी मौजूद थे।

रायपुर की सड़कों पर 4 गुड सेमेरिटंस ने इस तरह की मदद

  • किशन वर्मा अभनपुर ब्रिज के पास से गुजर रहे थे। 25 जुलाई को उन्होंने बाइक सवार को एक्सीडेंट में घायल देखा। उन्होंने फौरन 108 एम्बुलेंस को बुलाया। जब एंबुलेंस को पहुंचने में देरी हुई तो उन्होंने खुद के ही वहां से अस्पताल पहुंचाया।
  • संजय कुमार साहू अभनपुर अंडर ब्रिज के पास सड़क दुर्घटना में घायल बाइक सवार को देखा। जब एंबुलेंस को कॉल किया तो पहुंचने में देरी हुई तो उन्होंने खुद के ही वाहन से घायल को अस्पताल पहुंचाया और जान बचाई।
  • निक्की कोशले ने 23 जुलाई को मंदिर हसौद के पास एक मोटरसाइकिल चालक की दुर्घटना में जान बचाई। उन्होंने पुलिस को सूचना देकर CHC मंदिर हसौद ले जाकर घायल की जान बचाने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • 31 जुलाई बीरगांव के पास दो मोटरसाइकिल आपस में टकरा गए थे। इसके बाद गौतम साहू ने 112 को फोन कर उन्हें अस्पताल भिजवाया।

हर साल औसतन डेढ़ लाख की मौत

बता दें कि भारत में हर साल सड़क दुर्घटना में लगभग डेढ़ लाख लोगों की मौत हो जाती है। जिसका बड़ा कारण घायलों को जल्द मेडिकल फैसिलिटी उपलब्ध नहीं होना है। सड़क दुर्घटना के दौरान 30 मिनट का समय गोल्डन आवर कहलाता है। इस दौरान अगर घायल व्यक्ति को हॉस्पिटल पहुंचा दिया जाए या फिर उसे मेडिकल सहायता मिल जाए, तो जान बच सकती है।

हालांकि अधिकांश रोड एक्सीडेंट में लोग सोचते हैं कि बार-बार पेशी में जाना पड़ेगा। पुलिस स्टेशन में पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा, जिससे परेशानी होगी। ये सोचकर वे मोबाइल फोन से फोटो-वीडियो बना लेते हैं, लेकिन घायल की जान बचाने के लिए कोई उपाय नहीं करते। इससे घायल तड़प-तड़प कर सड़क पर ही दम तोड़ देता है।

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