आरएसएस सर संचालक मोहन भागवत आज मना रहे अपना 70वां जन्मदिन, आपातकाल के पहले ही बने थे आरएसएस के प्रचारक

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नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को केन्द्र की सत्ताधारी पार्टी भाजपा का संरक्षक माना जाता है और यही वजह है कि भाजपा सरकार के बड़े फैसलों के पीछे संघ का प्रभाव माना जाता है। आरएसएस को दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संस्थान माना जाता है। संघ में सबसे बड़ा पद सरसंघचालक का होता है। ऐसे में सरसंघचालक की अहमियत को बखूबी समझा जा सकता है। संघ के मौजूदा सरसंघचालक मोहन भागवत हैं, जो कि आज अपना 70वां जन्मदिन मना रहे हैं। भागवत का जन्म 11 सितंबर 1950 को महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में हुआ था। भागवत साल 2009 से संघ के सरसंघचालक नियुक्त किए गए थे।

भागवत का परिवार तीन पीढ़ियों से संघ के साथ जुड़ा हुआ है। भागवत के दादा और पिता के साथ ही उनकी मां भी आरएसएस की महिला विंग की सदस्य रह चुकी हैं। भागवत के दादा नारायण भागवत संघ के संस्थापक डॉ. केशवराम बलिराम हेडगेवार के सहपाठी हुआ करते थे। अपने पिता मधुकर भागवत की तरह ही मोहन भागवत का बचपन भी संघ की शाखाओं में बीता। मोहन भागवत ने 12वीं तक चंद्रपुर में पढ़ाई की। इसके बाद भागवत ने अकोला के डॉ. पंजाबराव देशमुख वेटनरी कॉलेज से डिग्री हासिल करने के बाद चंद्रपुर में एनिमल हसबेंडरी विभाग में बतौर वैटनरी आॅफिसर सरकारी नौकरी भी की।

देश में आपातकाल लागू होने से कुछ दिन पहले ही मोहन भागवत संघ के प्रचारक बने थे। आपातकाल के दौरान भागवत अंडरग्राउंड रहे। 90 का दशक आरएसएस और पूरे देश के लिए बेहद अहम रहा। इसी दौरान राम मंदिर और कश्मीर मुद्दा उठा। द लल्लनटॉप की एक रिपोर्ट के अनुसार, संघ की शाखाओं में कश्मीर मुद्दे को लेकर जागरुकता लाने वालों में मोहन भागवत का नाम प्रमुख है।

भागवत साल 2000 में संघ के सरकार्यवाह चुने गए थे और मार्च 2009 में केएस सुदर्शन के बाद मोहन भागवत को आरएसएस प्रमुख चुना गया था। जिस समय भागवत को संघ का सरसंघचालक चुना गया, उस वक्त उनकी उम्र महज 59 साल थी और गोलवलकर के बाद मोहन भागवत ही सबसे युवा सरसंघचालक चुने गए हैं।

भागवत के आरएसएस प्रमुख बनने के कुछ समय बाद ही आम चुनाव हुए और इनमें भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद संघ ने भाजपा पर अपनी पकड़ मजबूत करनी शुरू कर दी और संघ के करीबी माने जाने वाले नितिन गडकरी को भाजपा का नया अध्यक्ष चुना गया।

2013 में अगस्त माह में कोलकाता सेमिनार के दौरान ही मोहन भागवत ने नरेंद्र मोदी की तारीफ की थी और इसके अगले ही माह यानि कि सितंबर में मोदी को आधिकारिक तौर पर भाजपा का पीएम पद का उम्मीदवार चुन लिया गया था।

भागवत के सरसंघचालक रहते हुए संघ के कामकाज में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। इनमें संघ के अनुशांगिक संगठनों को शुरू करने का काम प्रमुख हैं। देशभर में आज आरएसएस के 36 मुख्य अनुशांगिक संगठन काम कर रहे हैं।