संत सियाराम बाबा का 110 वर्ष की आयु में निधन, 10 साल खड़े रहकर की मौन तपस्या

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खरगोन। संत सियाराम बाबा का 110 वर्ष की आयु में निधन हो गया। बाबा ने बुधवार को मोक्षदा एकादशी पर 6:10 बजे अंतिम सांस ली। बाबा पिछले 10 दिन से निमोनिया से पीड़ित थे। निधन से देशभर में उनके अनुयायियों में शोक की लहर है।

बाबा की शाम 4 बजे नर्मदा नदी किनारे भटयान आश्रम क्षेत्र में अंत्येष्टि होगी। इसमें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी शामिल होंगे। संत सियाराम के अनुयायियों ने बताया, बाबा का असली नाम कोई नहीं जानता। वे 1933 से नर्मदा किनारे रहकर तपस्या कर रहे थे। 10 साल तक खड़े रहकर मौन तपस्या की। वे करीब 70 साल से रामचरित मानस का पाठ भी कर रहे थे। उन्होंने अपने तप और त्याग से लोगों के हृदय में जगह बनाई। उनके मुंह से पहली बार सियाराम का उच्चारण हुआ था, तभी से लोग उन्हें संत सियाराम बाबा कहकर पुकारते हैं।

मैहर जिले के रहने वाले अशोक कुमार शुक्ला ने कहा, दो-तीन दिन पहले जानकारी मिली थी कि बाबा 10 दिन के अंदर मोक्षधाम में जाने वाले हैं। हमारा सौभाग्य है कि बाबा के दर्शन हो गए।

बाबा के अंतिम दर्शन के लिए उमड़ी भीड़

इंदौर से आश्रम पहुंचे मनोज व्यास हरसोला ने बताया, पता चला था कि यहां बहुत भीड़ है, बाबा के दर्शन होना मुश्किल है। लेकिन मन आस्था लेकिन हम यहां आए और बहुत अच्छी तरह बाबा के अंतिम दर्शन हो गए।

हनुमान जी के भक्त थे संत सियाराम

संत सियाराम बाबा हनुमान जी के भक्त थे। वे रामचरित मानस का पाठ करते रहते थे। भीषण गर्मी हो, सर्दी हो या भारी बारिश, बाबा सिर्फ लंगोटी पहनकर रहते थे। अनुयायियों का कहना है कि उन्होंने साधना के माध्यम से अपने शरीर को मौसम के अनुकूल बना लिया था।

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