जगदलपुर. भाजपा के पंद्रह साल के शासनकाल में बस्तर के लोग डरे हुए थे, अपनी बात नहीं कह पाते थे। अब वातावरण सुधरा तो लोग घरों से बाहर निकल कर अपनी बात कह रहे हैं और अपनी मांगों को शासन तक पहुंचा रहे हैं। यही आजादी है और यही प्रजातंत्र है। इस आजादी का यह मतलब नहीं है कि आप कलेक्ट्रेट में बलपूर्वक घूस जायेंगे। आप अपनी बात आराम से भी रख सकते हैं। उग्र होने की आवश्यकता नहीं है। उक्त बातें सिरहा गुनिया सम्मेलन के बाद मीडिया से चर्चा करते हुए सीएम भूपेश बघेल ने कही।
सुकमा, कटेकल्याण और नारायणपुर में आदिवासियों द्वारा उग्र होने के पर मुख्यमंत्री भूपेश ने कहा कि बस्तर अब बदल रहा है। बस्तर में फर्जी मुठभेड़ नहीं हो रही है। नक्सली घटनाओं में कमी आई है। नक्सलियों की भर्ती में भारी कमी आई है और बस्तर शांति की ओर आगे बढ़ रहा है। बस्तर को शांत होता देख कई संगठनों और लोगों को तकलीफ हो रही है। कुछ संगठनों द्वारा आदिवासियों को भड़काया जा रहा है और ऐसे आंदोलनों में आग में घी डालने का काम किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा ऐसे लोगों को बस्तर में शांति लाने के लिए आगे आना चाहिए न कि आंदोलन भड़काना चाहिए। बता दें कि बस्तर के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों के कैंपों व रावघाट परियोजना का आदिवासी विरोध कर रहे हैं।
हड़ताल पर जाकर गलत कर रहे हैं वन कर्मचारी
बस्तर सहित प्रदेश के कई जंगलों में आगजनी की घटनाएं हो रही है। आग को काबू करने वन अमला मौजूद नहीं है। वन कर्मचारियों के हड़ताल पर सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि गर्मी की वजह से जंगलों में आग लग रही है। ऐसे समय में बस्तर और अन्य जंगल वाले क्षेत्रों को वन कर्मचारियों की आवश्यकता है। उनका हड़ताल पर जाना गलत है। यदि उनकी कोई मांग है तो उन्हें अपनी बात अपने उच्च अधिकारियों के सामने रखनी चाहिए। ऐसी कोई समस्या नहीं है, जिसका समाधान बातचीत से हल नहीं किया जा सकता।