नई दिल्ली। कोरोना वायरस को फैलने से रोकने में हाथ को संक्रमण मुक्त रखना जरूरी है। इसमें सैनिटाइजर प्रमुख स्थान ले चुका है। मगर डॉक्टर्स का कहना है कि सैनिटाइजर नहीं बल्कि साबुन हाथ को साफ करने के लिए बेस्ट है। कुछ अंतराल के बाद साबुन और पानी से हाथ धोना सबसे अहम है।
बता दें कि कोरोना संक्रमण के बढ़ने के साथ सैनिटाइजर का प्रयोग काफी बढ़ गया है। हर कोई जेब में सैनिटाइजर लेकर चलता है और घरों से लेकर कारोबारी संस्थानों में सैनिटाइजर का उपयोग बढ़ा है। मगर डॉक्टरों के मुताबिक सैनिटाइजर को तभी प्रयोग करना चाहिए, जब साबुन और पानी उपलब्ध न हो। हमेशा के लिए साबुन और पानी का विकल्प बना कर सैनिटाइजर का प्रयोग नहीं करना चाहिए। सैनिटाइजर का बेसिक कॉन्सेप्ट किसी सतह को स्टेरलाइज्ड करना होता है। सैनिटाइजर किसी भी सतह को वायरस, बैक्टीरिया, फंगस जैसी चीजों से प्रष्ठी कर देता। यहां तक डीएन, आरएन जैसी बेहद बारीक चीजें भी साफ हो जाती हैं। आरएमएल अस्पताल के त्वचा विशेषज्ञ डॉ. कबीर सरदाना के मुताबिक सैनिटाइजर का सीमित इस्तेमाल ही करना चाहिए, क्योंकि ज्यादा इस्तेमाल करने से बॉडी के सेल्स का वाटर कंटेंट मर जाता है। अगर सैनिटाइजर को ओवर यूज करते हैं, तो यह पानी खींच लेता है, इससे स्किन ड्राई हो सकती है। इसलिए अल्कोहल में कभी-कभी ग्लिसरीन मिलाया जाता है, ताकि स्किन सूखे नहीं।
सैनिटाइजर को हाथ या सतह में लगाने के साथ ही वहां मौजूद बैक्टीरिया और वायरस मर जाते हैं। लेकिन सैनिटाइजर का असर तीन से चार मिनट तक ही रहता है। इसके बाद इसमें मौजूद अल्कोहल उड़ जाता है। इसलिए सैनिटाइजर के इस्तेमाल के बाद जैसे ही आपने दोबारा किसी सतह को छुआ, तो आप फिर बैक्टीरिया या वायरस के संपर्क में आ सकते हैं। हर चीज का फायदा होता है तो उसके कुछ नुकसान भी होते हैं। सैनिटाइजर के साथ भी ऐसा ही है। यह हाथों को संक्रमण मुक्त बनाने का काम तो करता है, मगर साथ ही त्वचा के लिए अच्छा नहीं होता है। जिनकी त्वचा संवेदनशील होती है, उनको इसके प्रयोग से त्वचा में जलन, खुजली, रैशेस, क्रैक जैसी समस्याएं हो सकती हैं। कोरोना संक्रमण के खत्म करने के लिए अल्कोहल बेस्ड सैनिटाइजर का प्रयोग बताया जाता है।