घायल कर्मचारियों में इंजीनियर देवेंद्र सिंह, हेल्पर करण कुर्रे और रितेश शामिल हैं। इस हादसे में तीनों 30 से 35 प्रतिशत तक झुलस गए हैं। यह घटना ग्राम खैरझिटी की है।
घायलों को रायपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बतादें कि कृपा पॉवर मिनी स्टील प्लांट में तीन महीने में यह दूसरी घटना है। 2 जनवरी को एक कर्मचारी की मिक्सचर मशीन में दबने से मौत हो गई थी।
तीनों कर्मचारियों को एक ही एम्बुलेंस से भेजा गया
इधर, प्लांट प्रबंधन की लापरवाही का आलम यह रहा कि गंभीर रूप से झुलसे तीनों कर्मचारियों को एक छोटी एम्बुलेंस में भरकर अस्पताल भेजा गया।
हादसे के 24 घंटे बाद भी पुलिस के पास झुलसे लोगों की कोई जानकारी नहीं है। श्रम विभाग और औद्योगिक स्वास्थ्य और सुरक्षा विभाग के अधिकारी भी इस मामले में कोई जवाब देने से बच रहे हैं।दो साल में तीन हादसे, तीन की मौत
यह प्लांट पिछले दो वर्षों से संचालित है और इस दौरान सुरक्षा मानकों की अनदेखी के कारण कई हादसे हो चुके हैं। जून 2024 में कोल बंकर स्टीम में तीन श्रमिक झुलसे। सितंबर 2024 में जीसीटी टैंक में हुए हादसे में दो लोगों की मौत हो गई।
इसी वर्ष जनवरी में एक कर्मचारी की मिक्सचर मशीन में दबने से मौत हो गई। प्रशासन की चेतावनी के बावजूद प्लांट प्रबंधन सुरक्षा मानकों का पालन नहीं कर रहा है।
प्रशासन की खानापूर्ति कार्रवाई
2 जनवरी को हुई मौत के बाद जिला प्रशासन ने उद्योग विभाग, श्रम विभाग, परिवहन विभाग, खनिज विभाग और औद्योगिक स्वास्थ्य और सुरक्षा विभाग के अधिकारियों की एक जांच टीम गठित की। टीम स्टील प्लांट में हुई मौत के अलावा सुरक्षा मानकों के पालन करने में हुई चूक और लापरवाही की जांच करने 7 जनवरी 2025 को प्लांट पहुंची।
इस जांच में सुरक्षा से जुड़ी कई जरूरी संसाधन और सुरक्षा मानकों का उल्लंघन पाया गया। अफसरों ने 17 हाइड्रा, 6 क्रेन, 4 जेसीबी, 12 मिक्सचर मशीन और ट्रकों के परिचालन पर रोक लगा दी थी।
एक अफसर, 2 जिले का प्रभार
औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग के सहायक मनीष कुंजाम बलौदाबाजार में पदस्थ हैं और अतिरिक्त महासमुंद का प्रभार दिया गया। इसके चलते महासमुंद जिले में संचालित उद्योगों की नियमित जांच नहीं होती है।
कभी कोई हादसा हो जाए तो अफसर जांच के लिए नहीं आते हैं। यहीं नहीं महासमुंद जिला बने 25 साल हो चुके हैं, लेकिन औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग का कार्यालय तक नहीं है।