सफलता की कहानी: जागरूकता और अनुशासनप्रिय परिवार के सात सदस्यों ने दस दिनों में हरा दिया कोरोना

स्वस्थ होकर लौटे कोरोना योद्धा ने आमजन से की सामान्य वर्ताव किए जाने की अपील
जल्द टेस्टिंग व आत्मविश्वास से पाई कोरोना पर जीत
चिकित्सकीय परामर्श में गरम पानी, काढ़ा संतुलित आहार और दवाओं का सेवन करते रहे, कोरोना से घबराने की नहीं बचाव की जरूरत

Chhattisgarh Crimes

महासमुंद। कोविड 19 ने लगभग पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। दुनियाभर में इस महामारी से  एक तरफ जहां लोगों में दहशत है, वहीं देश-दुनिया में ऐसे तमाम लोग हैं जो इस महामारी को मात देकर कोरोना के विजेता साबित हो रहे हैं। आइए जानते हैं महासमुंद के ऐसे ही कोरोना के विजेता से। कोरोना महामारी को मात देने वाले महासमुंद शहर के संभ्रान्त परिवार से, जिन्होंने संक्रमण आशंका के मद्देनजर न केवल समय रहते जांच कराई बल्कि जिला चिकित्सा अधिकारियों के परामर्श पर कोविड केयर सेंटर  में ही रहकर जरूरी उपचार लिया। चिकित्सकीय सलाह का पूरी तरह पालन भी किया। इस कारण वे और उनके परिवार के सातों सदस्य महज 10 दिनों में ही स्वास्थ्य होकर सुरक्षित घर तो लौटे । इस परिवार ने कोविड सेंटर में संक्रमित 150 मरीजों को भी चिकित्सा अनुशासन में रह कर जल्द स्वस्थ होने का नुस्खा भी सिखा दिया।

परिवार के मुखिया ने बताया कि कोविड-19 का पॉजिटिव आ जाना केवल पहली रात ही व्याकुल करता है, यदि आप अब तक जिले में स्वस्थ होकर घर लौट चुके मरीजों के अनुभव देखें, तो जागरूता के साथ अनुशासन में रह कर नियमों का पालन और निर्धारित दिनचर्या में चिकित्सकीय परामर्श का अनुशरण आपको जल्द स्वास्थ्य लाभ दे सकता है। यह कहना है शहर के महावीर कॉलोनी के रहने वाले एक ऐसे संभ्रान्त परिवार का है, जिसके सत्रह सदस्यों ने संक्रमण की सम्भावना के मद्देनजर रैपिड एन्टीजन टेस्ट यानी त्वरित जांच कराई और सात सदस्य धनात्मक निकल गए। सभी ने जिला स्तरीय क्रिटिकल कोविड केयर सेन्टर में उपचार कराना उचित समझा। अब सभी स्वस्थ हो कर घर लौट चुके हैं और पहले की ही तरह सामान्य जीवन जी रहे हैं। इस ओर, परिवार के 45 वर्षीय वरिष्ठ सदस्य ने इन दिनों आमजन के मन में आने वाली उन सभी शंकाओं को दूर करने का प्रयास करते हुए कोविड-19 के धनात्मक से ऋणात्मक होने तक की आपबीती साझा की है… कोरोना योद्धाओं में से एक हैं, जिन्होंने खुद तो कोरोना को हराया ही, साथ ही अन्य मरीजों के लिए भी मार्गदर्शक का काम बखूबी कर रहे हैं। उन्होंने डॉक्टरों की सलाह, डाइट और आराम को इस संकट में बेहद जरूरी बताया है। बताया कि उन्होंने और परिवार के सदस्यों ने जल्द टेस्टिंग व आत्मविश्वास से पाई कोरोना पर जीत।

वे कहते हैं कि हम अपने और अपने परिजनों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हैं इसलिए जैसे ही किसी एक को हल्की हरारत या बुखार जैसा लगा तो सभी 23 अगस्त 2020 को सीधे जिला चिकित्सालय के फीवर क्लीनिक पहुंचे और कोविड-19 की त्वरित जांच कराई। पता चला कि मेरे साथ मेरे करीबी रिश्तेदारों को मिला कर कुल सात लोगों को संक्रमण हो चुका है। हम कोविड-19 के एसिम्टोमेटिक धनात्मक मरीज (लक्षणरहित) थे। हमने क्रिटिकल कोविड केयर सेन्टर में उपचार लेना बेहतर समझा और उसी दिन भर्ती हो गए। वार्ड में पहुंचते ही हमें चिकित्सकीय सेवाएं मिलने लगीं और अन्य आवश्यक सुविधाओं के साथ दिनचर्या समय-सारणी से अवगत कराया गया। किन्तु, फिर भी परिवार के अन्य सदस्य जो उस वक्त जिले में नहीं थे। उनसे हुए औचक अलगाव के चलते मन में थोड़ा बेचैनी थी, साथ में आगे क्या होगा इसी चिंता भी सताने लगी। मगर, रात बीती, बात बीती, अगली सुबह आंखे खुली तो चिकित्सक एनाउन्समेन्ट कर रहे थे कि स्नान करके गर्म नाश्ता कर लें। इसके बाद सब आसान हो गया, हमने महसूस किया कि समय पर दवा सेवन कराने के लिए नर्सिंग स्टाफ समय आते रहे, पौष्टिक भोजन और काढ़ा भी नियमित रूप से मिलता रहा। टू-वे माइकिंग सिस्टम से स्वास्थ्य अमला हमेशा जुड़ा रहता, मधुर संगीत, मनोरंजक संवाद, काउन्सलिंग और दूरभाष की सुविधा से पारिवारिक माहौल मिला। हमने भी सहयोग करने की ठानी और जिले के कोने-कोने से आए 151 मरीजों के साथ एक टीम बना ली। किसी को कोई भी समस्या हो तो तुरंत चिकित्सकों से चर्चा करते, यदि कोई मरीज कोई चूक करता तो हम उसे प्यार से मना लेते और कभी देर रात साढ़े ग्यारह बजे भी शौंचालय गंदा हो जाए तो प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. आई. नागेश्वर राव को एक फोन घुमाते ही सफाई हो जाती थी। ऐसा करते-करते दस दिन कब निकल गए पता ही नही चला और हम स्वास्थ हो गए। जल्द ही चिकित्सकों ने हमें डिस्चार्ज कर दिया।

आज जब वे स्वस्थ हो चुके हैं तो बीते पलों को याद कर बताते हैं कि यह समझ आता है कि कोविड-19 के संक्रमण में लापरवाही बरतना ही सबसे अधिक खतरनाक है। समय पर जांच और चिकित्सकीय परामर्श में उचित उपचार लेने से यह बीमारी बिल्कुल ठीक हो जाती है। इसके साथ ही उन्होंने आमजन की ओर विनम्र अपील भी की है कि कोविड-19 की बीमारी से स्वस्थ होने वाले मरीज चाहे होम आइसोलेशन के हो या उन्होंने किसी चिकित्सालय में उपचार लिया हो, हमें चाहिए कि उनके साथ कोई भेदभाव न किया जाए।