दरअसल, ये विदाई इसलिए भी खास है क्योंकि देश के सबसे बड़े खूंखार नक्सलियों में से एक माड़वी हिड़मा का यह गांव है। देवा बारसे भी यहीं का रहने वाला है। सालभर पहले तक इस गांव में नक्सलियों की हुकूमत चलती थी। सर्चिंग के दौरान जब भी जवान इस गांव में आते या फिर आस-पास के इलाके में पहुंचते थे तो ग्रामीण उन्हें देखकर भाग जाया करते थे, छिप जाते थे।
पहले डरते थे ग्रामीण, अब खुलकर बात करते हैं
उन्हें डर होता था कि कहीं पुलिस एनकाउंटर न कर दे। लेकिन, जब इस गांव में सुरक्षाबलों का कैंप खुला तो गांव में अब विकास पहुंचा। जवानों ने ग्रामीणों का दिल जीता, भरोसा जीता।
जिसके बाद अब ग्रामीण खुलकर कैंप पहुंचते हैं, जवानों से बातचीत करते हैं। वहीं मंगलवार को इस गांव की एक बेटी की शादी हुई।
उसकी विदाई में पूरा गांव उमड़ा था। जिसके बाद बेटी खुद अपने घर से लेकर CRPF कैंप तक आई। इस दौरान गांव के लोग भी थे। पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुन में थिरक रहे थे।
वहीं बेटी यहां अफसरों और जवानों से मुलाकात की। जवान भाइयों ने भी बहन को आशीर्वाद दिया। उसे विदाई दी। ये इस गांव का ऐतिहासिक लम्हा था।