फ्री स्कीम्स पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला : मुफ्त वादों पर सुनवाई अब नई बेंच में होगी; CJI बोले- इस पर गंभीरता से विचार की जरूरत

Chhattisgarh Crimes

नई दिल्ली। चुनाव में फ्री स्कीम्स पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें मुफ्त चुनावी वादों पर रोक लगाने की मांग की गई है। सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस एनवी रमना ने मामले को नई बेंच में रेफर कर दिया। सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि कमेटी बनाई जा सकती है, लेकिन क्या कमेटी इसकी परिभाषा सही से तय कर पाएगी।

CJI रमना ने कहा कि इस केस में विस्तृत सुनवाई की जरूरत है और इसे गंभीरता से लेनी चाहिए। वहीं फैसला सुनाने के बाद CJI ने याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय को धन्यवाद दिया, जिस पर उपाध्याय ने कहा कि हम आपको मिस करेंगे। नई बेंच में अगले चीफ जस्टिस समेत 3 जज होंगे और आगे की सुनवाई करेंगे।

अब तक सुनवाई में क्या-क्या हुआ…

फ्रीबीज मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना की अगुआई वाली जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस हिमा कोहली की तीन सदस्यीय बेंच कर रही है।

03 अगस्त 2022: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फ्रीबीज मुद्दे पर फैसले के लिए एक समिति गठित की जानी चाहिए। इसमें केंद्र, राज्य सरकारें, नीति आयोग, फाइनेंस कमीशन, चुनाव आयोग, RBI, CAG और राजनीतिक पार्टियां शामिल हों।

11 अगस्त 2022: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘गरीबों का पेट भरने की जरूरत है, लेकिन लोगों की भलाई के कामों को संतुलित रखने की जरूरत है, क्योंकि फ्रीबीज की वजह से इकोनॉमी पैसे गंवा रही है। हम इस बात से सहमत हैं कि फ्रीबीज और वेलफेयर के बीच अंतर है।’

17 अगस्त 2022: कोर्ट ने कहा, ‘कुछ लोगों का कहना है कि राजनीतिक पार्टियों को वोटर्स से वादे करने से नहीं रोका जा सकता है…अब ये तय करना होगा कि फ्रीबीज क्या है। क्या सबके लिए हेल्थकेयर, पीने के पानी की सुविधा…मनरेगा जैसी योजनाएं, जो जीवन को बेहतर बनाती हैं, क्या उन्हें फ्रीबीज माना जा सकता है?’ कोर्ट ने इस मामले के सभी पक्षों से अपनी राय देने को कहा।

23 अगस्त 2022: सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई किया और केंद्र से पूछा कि आप सर्वदलीय बैठक क्यों नहीं बुलाते हैं? क्योंकि राजनीतिक दलों को ही इस पर सबकुछ तय करना है।