सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, यूनिवर्सिटी में फाइनल ईयर की परीक्षा होगी, बिना इसके प्रमोट नहीं कर सकते

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट का विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षा के आयोजन कराने पर बड़ा फैसला दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि फाइनल ईयर की परीक्षा होगी कोर्ट ने साथ ही 30 सितंबर तक परीक्षा कराने के UGC के सर्कुलर को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया। राज्य सरकारें कोरोना संकट काल में अपने से एग्जाम नहीं कराने का फैसला नहीं कर सकतीं।

कोर्ट का बड़ा फैसला, राज्यों को आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकारें UGC की अनुमति बिना छात्र को प्रमोट नहीं कर सकतीं। जिन राज्यों को कोरोना संकट काल में एग्जाम कराने में दिक्कत है वो UGC के पास परीक्षा टालने का आवेदन दे सकते हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने विश्वविद्यालयों एवं अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों में स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के अंतिम वर्ष या सेमेस्टर की परीक्षाओं को 30 सितंबर तक करा लेने के यूजीसी द्वारा 6 जुलाई को जारी निदेर्शों को चुनौती देनी वाली याचिकाओं पर 18 अगस्त को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

छात्रों और संस्थानों ने दाखिल की थी याचिका

यूजीसी के इस कदम को लेकर देशभर के अलग-अलग संस्थानों के कई छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को रद्द करने की मांग की गई थी। अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को लेकर यूजीसी की गाइडलाइन जारी होने के बाद से ही परीक्षा कराए जाने को लेकर लगातार विरोध हो रहा था।

यूजीसी ने दी थी यह दलील

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में यूजीसी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी थी कि अंतिम वर्ष, डिग्री वर्ष है और परीक्षा को खत्म नहीं किया जा सकता है। मेहता ने कुछ विश्वविद्यालयों द्वारा आयोजित परीक्षाओं के उदाहरणों का भी हवाला दिया और कहा कि कई शीर्ष स्तर के विश्वविद्यालयों ने आनलाइन परीक्षा का विकल्प चुना है। मेहता ने जोर देकर कहा कि विदेशी विश्वविद्यालय और आगे की शिक्षा के लिए डिग्री की आवश्यकता होती है। यूजीसी के दिशानिदेर्शों का हवाला देते हुए मेहता ने पीठ के समक्ष कहा कि यह दिशानिर्देश केवल उपदेश भर नहीं है, बल्कि ये अनिवार्य हैं। मेहता ने कहा कि शीर्ष अदालत के सामने जिन दिशा-निदेर्शों को चुनौती दी गई है, वह वैधानिक है।