किशन सिन्हा/ छत्तीसगढ़ क्राइम्स
छुरा। नगर में प्रतिवर्ष होने वाले श्री रामचरितमानस परायण महायज्ञ 71 वर्ष से चली आ रही रही है जिसके लिए इस बार मंदिर को नए कलेवर में सजाया गया है जहां बैकुंठ द्वार का निर्माण किया गया है वहीं द्वारपाल जय विजय की प्रतिमाएं स्थापित कि गई है , भगवान राम जानकी मंदिर के द्वार पर गजराज की प्रतिमाएं स्थापित किया गया है परिक्रमा स्थानो पर भक्तों के दर्शनाथ राम जन्म ,रामचरित्र की सुंदर मनमोहक झांकी मूर्तिकारों द्वारा गढी गई है इस बार जो भक्त यदि 1 वर्ष बाद मंदिर में आएंगे उन्हें अलग ही अनुभूति होगी |
इस वर्ष के 28 फरवरी से 8 मार्च तक प्रतिदिन परायण, यज्ञ, हवन, महा आरती जिसमें प्रथम दिवस 28 फरवरी को मंगल जल कलश यात्रा से प्रारंभ हो कर 29 फरवरी से 7 मार्च तक श्री राम कथा प्रतिदिन 2:00 बजे से 5:30 बजे तक होगी व्यास मंच पर अयोध्या धाम से पधारे पूज्य श्री अनूप जी महाराज द्वारा संगीतमय कथा प्रवचन भजन प्रस्तुत किया जा रहा है| इसी कड़ी में प्रतिदिन प्रातः 6:00 से 7:00 बजे शिक्षक मानव परिवार द्वारा भजन कीर्तन व सभी भक्तों द्वारा परिक्रमा किया जा रहा है जो प्रातः 7 से 8 बजे तक चल रहा है साथ स्वास्ती वाचन, पंडित यज्ञेश प्रसाद पांडेय पुजारी व यजमानों द्वारा पूजा पाठ किया जा रहा|
प्रातः 9 से परायण हवन हो रहा है जो दोपहर 1:00 बजे मध्यान आरती भंडारा के साथ सम्पन्न हो रहा है | दोपहर 2 से साम 5 30 बजे तक कथा प्रवचन कर संध्या 6:00 बजे से भजन बधाइयां झांकी के का कार्यक्रम प्रतिदिन संध्या आरती एवं प्रसाद वितरण किया जा रहा है|
वही 8 मार्च महाशिवरात्रि महापर्व के दिन श्री रामचरितमानस परायण महायज्ञ का पूर्णाहुति पश्चात शोभायात्रा निकाली जाएगी |
इस दिव्या आयोजन की तैयारी में मानस समिति के संरक्षक महंत श्री गोवर्धन शरण महाराज महामंडलेश्वर सिरकट्टी आश्रम कूटेना अध्यक्ष ओंकार शाह पूर्व विधायक बिंद्रा नवागढ़ ,बजरंग पांडेय, शीतल ध्रुव सचिव ,बाला महाराज ,यशवेंद्र शाह, अशोक दीक्षित, लखन तिवारी, ओपी द्विवेदी ,नतमल शर्मा, कामता प्रसाद तिवारी, टंकेश्वर देवांगन, विशेश्वर पंडित यज्ञेश महाराज मितेश दीक्षित ,संतराम , तुलसीराम साहू ,गणेशू साहू ,केआर सिंहा, शिवदयाल, लिखन ,राजू ,निखिल साहू, नगर के व्यापारी गण ,महिला मंडल, धर्म प्रेमी नगर वासी लगे हुए हैं
मानस परायण महायज्ञ में राम कथा के द्वौरान शिव पार्वती विवाह कथा में व्यास पीठ से अनूप जी महराज ने कहा कि कठोर तपस्या से भगवान को पिघलना पड़ता है। साधारण लोग अपने प्रियजन के वियोग में पूजा पाठ छोड़ देते हैं भक्तों को सीखना चाहिए भोलेनाथ से कि जब सबसे प्रिय से वियोग या पीड़ा हो तो अपने ईष्ट को नहीं छोड़ना चाहिए संसार में जब किसी के पास ऐसा दुख आता है जिसका समाधान उसके बस में नहींं होता तो उसको हल करने स्वयं उसका भगवान आते है भगवान भोलेनाथ का दुख दूर करने भगवान श्रीराम स्वयं आए और सती वियोग से उबारने उन्हें पार्वती विवाह करने के लिए मनाने आये। भगवान सदा भक्त के साथ चलते हैं और जब भक्त पर दुख पीड़ा कष्ट रोग आता है तब वह भक्त को स्वयं गोद में उठाकर रखते हैं संबल देते है संसार में तीन लोग जिसे भगवान का दर्जा दिया जाता वे ही अपने बच्चों के उन्नति देखकर प्रसन्न होता है संसार में इनके सिवा और कोई नहीं जो दूसरे की उन्नति देख प्रश्न हो। माता पिता और गुरु की कठोर बातें भी हमेशा सुख देती है संसारी जब भी विपत्ति में रहे केवल दो बाते मन में रखिए पहला जो कुछ हो रहा है वह भगवान जानता है उसे पता है और दूसरा जो हो रहा है अच्छे के लिए हो रहा है क्योकि मेरा ईश्वर कर रहा है। भक्त के लिए एक सूत्र है कि क्रोध में किसी प्रकार अनीति नहीं करनी चाहिए कामदेव ने भगवान शंकर को अपनी कई विफलताओं के कारण अंत में क्रोध में आकर पांच बाण उनके हृदय जहाँ राम बसते हैं वहाँ वार कर दिए। भगवान शंकर ने उसके क्रोध को भस्म किये।