रायपुर। पिछले दिनों खबर आई कि गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले में सर्प दंश(सांप काटने) से तीन बच्चों की मौत हो गई। उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाने की जगह झांड-फूंक में वक्त जाया किया गया। डॉक्टरों का कहना है, बरसात में पानी बढ़ने के साथ सांप, बिच्छू और जहरीले कीड़ों का खतरा बढ़ता है। आपके आसपास किसी व्यक्ति को साँप, बिच्छू या कोई जहरीला कीड़ा काट ले तो उसे तत्काल निकटतम शासकीय स्वास्थ्य केंद्र लेकर जाएं।
एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (IDSP) के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. धर्मेन्द्र गहवई ने बताया कि लगातार बढ़ रहे सर्पदंश के मामलों को देखते हुए अब जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सिविल अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में एंटी स्नेक वेनम रखने की व्यवस्था की गई है। कई बार जहरीले सांप के काटने के बाद एक से डेढ़ घंटे के भीतर पीड़ित को इलाज नहीं मिलने से उसकी मौत हो जाती है। इसलिए पीड़ित को जितनी जल्दी हो सके निकटतम स्वास्थ्य केन्द्र में इलाज के लिए ले जाना चाहिए।
डॉ. गहवई ने बताया कि सभी सांप जहरीले नहीं होते। अधिकांश मौतें सांप काटने के बाद घबराहट में हो जाती है। वर्तमान में जहरीले सांप के काटने पर भी इलाज मौजूद है। एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन से सांप के जहर को पीड़ित के शरीर से कम किया जाता है। सांप काटने पर झाड़-फूंक या बैगा-गुनिया के चक्कर में न पड़कर बिना देर किए निकटतम स्वास्थ्य केंद्र में जाकर चिकित्सकीय सलाह लेना चाहिए।
ग्रामीण क्षेत्रों में सर्पदंश के ज्यादा मामले
सांप काटने की घटनाएं ग्रामीण और वनांचल क्षेत्रों में अधिक होती है। बहुत से ग्रामीण बारिश के मौसम में भी जमीन पर सोते हैं। इससे उनके सर्पदंश के शिकार होने की आशंका और अधिक बढ़ जाती है। सर्पदंश से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार ग्रामीणों को बारिश के मौसम में जमीन पर नहीं सोने और मच्छरदानी लगाकर सोने की सलाह दी जाती है।