आज भी रहस्य है नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत, तीन कमेटियों की जांच के बाद भी नहीं सुलझी गुत्थी

Chhattisgarh Crimes

नई दिल्ली। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज 125वीं जयंती है। देश के लोग अब इंडिया गेट पर भी उन्हें देख सकेंगे। प्रधानमंत्री मोदी आज नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण करेंगे। सुभाष चंद्र बोस साहस, नेतृत्व कौशल और असाधारण वक्ता थे। वे खुद तो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल थे ही साथ ही अन्य कई लोगों को भारतीय राष्ट्रीय सेना में शामिल होने और भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया था। ऐसे में पिछले साल सरकार ने उनकी जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था।

नेताजी का निधन हुए 76 साल हो चुके हैं, लेकिन, उनकी मौत आज भी रहस्य बनी हुई है। उनकी मौत का सच जानने के लिए तीन कमेटियां बनीं। दो ने कहा उनकी मौत प्लेन क्रैश में हुई। तीसरी रिपोर्ट में कहा गया ‍कि ऐसा कोई प्लेन क्रैश ही नहीं हुआ तो हादसे में जान जाने की बात कैसे सही मानी जाए। उनके निधन के सालों बाद तक देश के अलग-अलग हिस्सों में नेताजी को देखे जाने के दावे किए जाते रहे।

बात 18 अगस्त 1945 की है। जापान दूसरा विश्व युद्ध हार चुका था। अंग्रेज नेताजी के पीछे पड़े हुए थे। इसे देखते हुए उन्होंने रूस से मदद मांगने का मन बनाया। 18 अगस्त 1945 को उन्होंने मंचूरिया की तरफ उड़ान भरी। इसके बाद किसी को फिर वो दिखाई नहीं दिए।

5 दिन बाद टोक्यो रेडियो ने जानकारी दी कि नेताजी जिस विमान से जा रहे थे वो ताइहोकू हवाई अड्डे के पास क्रैश हो गया। इस हादसे में नेताजी बुरी तरह से जल गए। ताइहोकू सैनिक अस्पताल में उनका निधन हो गया। उनके साथ सवार बाकी लोग भी मारे गए। आज भी उनकी अस्थियां टोकियो के रैंकोजी मंदिर में रखी हुई हैं।

इधर, आजाद भारत की सरकार ने तीन बार इस घटना की जांच के आदेश दिए। पहले दोनों बार प्लेन क्रैश को हादसे का कारण बताया गया। 1999 में तीसरा आयोग मनोज कुमार मुखर्जी के नाम पर बना। इस आयोग की रिपोर्ट में ताइवान सरकार के हवाले से कहा गया कि 1945 में कोई प्लेन क्रैश की घटना ही नहीं हुई। इस प्लेन क्रैश का कोई रिकॉर्ड नहीं है। हालांकि, सरकार ने इस रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया था।

गुमनामी बाबा के नेताजी होने का दावा किया जाता है

नेताजी के निधन के बाद भी देश के कई इलाकों में उनको देखे जाने के दावे किए जाते रहे। फैजाबाद में गुमनामी बाबा से लेकर छत्तीसगढ़ में उनको देखे जाने की खबरें आईं। छत्तीसगढ़ में ये मामला राज्य सरकार के पास गया, लेकिन, सरकार ने मामले में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया।

जिन गुमनामी बाबा के नेताजी होने का दावा किया जाता है, उनके निधन के बाद उनके पास से नेताजी के परिवार की तस्वीरें, पत्र-पत्रिकाओं में छपे नेताजी से जुड़े लेख, कई अहम लोगों के पत्र, नेताजी की कथित मौत के मामले की जांच के लिए गठित शाहनवाज आयोग एवं खोसला आयोग की रिपोर्ट जैसी चीजें मिलीं।

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