पूरन मेश्राम/छत्तीसगढ़ क्राइम्स
मैनपुर। धीरे-धीरे जंगल सिमटते जा रहे है, जंगल के जंगली जानवर गांव की ओर रुख कर रहे वही जन धन की हानि हो रही है। पूरा जंगल रेगिस्तान मे बदलते जा रहा है। वन पट्टा की आड़ में पूरे जंगलों को सफाया करना कहां तक उचित है। जनमानस को समझने और विचार करने की सख्त जरूरत है। ऋषि मुनियो की वह कहावत भी सच साबित हो रही है पेड़ काटो तो गिरता नही पानी आज हमें अचानक बारिश, खंड वर्षा, अल्प वर्षा,सूखा का लक्षण देखने को मिल रहा है। पहले खेती किसानी के अनुरुप बारिश होती थी लेकिन अब वह दिन नही रहा।
उसके बावजूद आज भी जंगलों में लगातार अवैध अतिक्रमण लगातार जारी है। क्या ऐसा किया जाना सही है। इस बात को गांव, समाज, ग्रामीण मुखिया को समझना और इस पर रोकथाम किया जाना नितांत आवश्यक हो गया है। वास्तव में पात्रधारी किसान जिनका आजीविका का मुख्य साधन वन एवं वन भूमि है।
ऐसे लोगों को वन पट्टा दिलाना हम सब की जवाबदेही और जिम्मेदारी भी है , और छत्तीसगढ़ शासन ऐसे लोगों को प्राथमिकता के तौर पर पट्टा देने के लिए कृत संकल्पित भी है। लेकिन इसके आड़ में वनों की लगातार कटाई अवैध अतिक्रमण को रोकना भी हमारा धर्म है।
अभी हाल ही में विकासखंड मुख्यालय मैनपुर राजापडा़व क्षेत्र के ग्राम अड़गडी जूनापारा में गौशाला संचालकों के द्वारा अवैध रूप से लगभग 5 एकड़ वन जमीन पर अवैध अतिक्रमण किया गया था जिसे विभागीय टीम एवं ग्राम पंचायत के जिम्मेदार एवं ग्रामीणों के सहयोग से कब्जा मुक्त कराया गया जो एक सार्थक पहल है। लेकिन ऐसा भी नहीं है मात्र अड़गडी ग्राम में गौशाला संचालकों के द्वारा ही अवैध वन भूमि पर अतिक्रमण किया गया था, ऐसे अनेक उदाहरण मिल जाएगा जहां वन भूमि पर अतिक्रमण किया गया है।जिन्हे हटाकर वाहवाही लूटने से बेहतर होगा क्षेत्र के 65 गांव पारा टोला के रसूखदार,ग्रामीणो के द्वारा आज भी हजारों एकड़ वन भूमि पर अवैध अतिक्रमण किया गया है।
ईमानदारी के साथ सभी को मिलजुल कर अवैध अतिक्रमणकारियों पर पैनी नजर रखते हुए सबको बेदखली का कार्यवाही किया जाना चाहिए। यहां तक के सैकडो़ एकड़ सामुदायिक वन अधिकार भूमि पर भी जागरूक ग्रामीणों के द्वारा अवैध अतिक्रमण किया गया है। हर गांव में ऐसे वन भूमि पर अवैध अतिक्रमण किया गया है सबको विभागीय टीम ग्रामीण मुखियाओ सहित ग्राम पंचायतों के माध्यम से बेदखली का कार्यवाही करके शेष बचे जंगलों को भी बचाना हम सब की जवाबदेही एवं जिम्मेदारी है। खरीफ के सीजन में अवैध अतिक्रमणकारी द्वारा वन भूमि पर काश्तकारी किए जाने का सिलसिला जारी रहेगा। क्या प्रशासन एवं गांव वालों को मिलकर इस पर रोकथाम करना जरूरी नहीं है। इसके अलावा अवैध वन पट्टा पर भी तुरंत निरस्ती करण भी जरूरी है। वन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत कानून के पालन वन पट्टा के लिए नहीं किया गया और वन पट्टा वितरण हो गई है तो निश्चित रूप से ऐसे लोगों पर भी बेदखली का कार्यवाही किया जाना जरूरी होना चाहिए।