![मास्टर प्लान बन गया मजाक, वाह रे... अधिकारी...तो, हो, गया महासमुंद का विकास... Chhattisgarh Crimes](https://chhattisgarhcrimes.in/wp-content/uploads/2021/09/mahasamund-road-300x203.jpg)
परत दर परत खुलने लगी हाउसिंग बोर्ड की पोल…
जयदेव सिंह/ छत्तीसगढ़ क्राइम्स
महासमुंद। छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल का एक और अनोखा कारनामा सामने आया है। हाउसिंग बोर्ड के अटल बिहार कालोनी का दो लेआउट में मचेवा से परसकोल जाने वाली एक ही सड़क की चौड़ाई को अलग-अलग दर्शाया गया है। वर्ष 2008 के दौरान जो लेआउट को स्वीकृति प्रदान की गई थी, उस लेआउट में मचेवा से परसकोल जाने वाली सड़क की चौड़ाई 24 मीटर उल्लेख किया गया है। वर्ष 2014 आते-आते वहीं सड़क 12 मीटर में सिमट कर रह गई। जबकि विकास योजना 2031के मास्टर प्लान यहीं सड़क 18 मीटर प्रस्तावित है। अब हाउसिंग बोर्ड अपनी गंभीर लापरवाही को छिपाने सारा दोष का ठीकरा नगर तथा ग्राम निवेश पर फोड़ रहा है। यहीं नहीं हाउसिंग बोर्ड द्वारा भवन अनुज्ञा के लिए जो दस्तावेज नगर तथा ग्राम निवेश के महासमुंद क्षेत्रीय कार्यालय को भेजा गया था, जिसे अपर संचालक को भेजा गया। लेकिन यह टिप्पणी करते हुए नस्ती लौट दिया कि, निर्मित संरचना में अधिनियम, नियम का पालन नहीं किया गया है।
माना जाता है कि, जिले के सरकारी दफ्तरों में अच्छे अफसरों की पदस्थापना हो तो जिले का कायापलट हो सकता है। वहीं अगर अफसर अपने कर्तव्यों के प्रति संजीदा ना हो तो उस जिले के विकास में ग्रहण लगना स्वाभाविक है। ऐसा ही कुछ हाल जिला मुख्यालय महासमुंद का है। यहां का सरकारी विभाग ही मास्टर प्लान धज्जियां उड़ाते हुए नजर आ रहे हैं। इसका जीता जागता उदाहरण छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल द्वारा मचेवा से परसकोल मार्ग पर स्थापित किया गया अटल बिहार कालोनी को देखकर ही समझा जा सकता है। हाउसिंग बोर्ड के इंजीनियरों ने कालोनी बनाने से पहले वर्ष 2008 में नगर तथा ग्राम निवेश के क्षेत्रीय कार्यालय रायपुर से लेआउट स्वीकृत कराया था। उस लेआउट में मचेवा से परसकोल जाने वाली सड़क की चौड़ाई 24 मीटर, करीब 80 फीट दर्शाया था। फिर हाउसिंग बोर्ड ने नगर तथा ग्राम निवेश के अफसरों को मौके पर ले जाए बिना ही 30 जनवरी 2014 में वहीं लेआउट को जिसमें सिर्फ सड़क की चौड़ाई में बदलाव करते हुए 12 मीटर यानी करीब 40 फीट कर दी। और संशोधित लेआउट स्वीकृत करा लिया। इसी वर्ष नगर तथा ग्राम निवेश के क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा विकास योजना 2031 तक के लिए मास्टर प्लान प्रकाशन किया गया। लेकिन हाउसिंग बोर्ड के इंजीनियरों ने किसी भी प्रकार का दावा आपत्ति प्रस्तुत नहीं किया। और वर्ष 2016 में मास्टर प्लान का अंतिम अनमोदन किया गया। इसके बावजूद हाउसिंग बोर्ड द्वारा नगर तथा ग्राम निवेश को दो अलग अलग लेआउट की जानकारी साझा नहीं किया। अब इतने सालों बाद हाउसिंग बोर्ड द्वारा किया गया गंभीर लापरवाही परत दर परत खुलने लगी है। साथ ही छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल ने एक बड़े विवाद को जन्म दे दिया।
दफ्तर में बैठे-बैठे लेआउट होता रहा स्वीकृत…
नगर तथा ग्राम निवेश विभाग के सक्षम अधिकार ने बगैर किसी मौका स्थल निरीक्षण के ही वर्ष 2007-08 में लेआउट को एप्रुवल दे दिया। जिसमें मचेवा से परसकोल जाने वाली सड़क की चौड़ाई 24 मीटर था। गृह निर्माण मंडल द्वारा इसी लेआउट में सड़क की चौड़ाई कम 12 मीटर करते हुए वर्ष 2014 पुनः प्रस्तुत किया गया। नगर तथा ग्राम निवेश विभाग के दूसरे सक्षम अधिकारी ने संशोधित लेआउट में उसी सड़क को 12 मीटर की स्वीकृति दे दी। और दोनों विभागों के अधिकारियों ने मौके का निरीक्षण करने की जहमत नहीं उठाई। इस लिए मास्टर प्लान में सड़क की चौड़ाई 18 मीटर और गृह निर्माण मंडल के लेआउट में 24 से 12 मीटर हो गया। जो विवाद के बीच फंस कर रह गया है।
जो भी सुधार करना है नगर निवेश को करना है…
छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के कार्यपालन अभियंता अजय नायडू का कहना है हमारी ओर से कोई गलती नहीं हुई है। पहले गृह निर्माण मंडल का कार्य शुरू हुआ था, और इसका लेआउट नगर तथा ग्राम निवेश रायपुर से एप्रुवल हुआ है। 2014 में भी संशोधित लेआउट वहीं से किया गया है। सड़क 24 मीटर के बजाए 12 मीटर ही रहेगी। जो भी सुधार करना है वो नगर तथा ग्राम निवेश को करना है।
2031 तक कोई भी बदलाव नहीं हो सकता…
नगर तथा ग्राम निवेश के प्रभारी सहायक संचालक एस. आर. अजगरा का कहना है मास्टर प्लान मजाक बन कर रह गया है। इसमें जो भी अधिकारी दोषी है उनके विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही होनी चाहिए। हाउसिंग बोर्ड एवं नगर निवेश विभाग दोनों ही शासन का हिस्सा है। हाउसिंग बोर्ड को लेआउट में सुधार के लिए पत्र लिखना था। और डायरेक्टर लेबल जो निर्णय लिया जाता वैसे काम किया जाता। अब तो मास्टर प्लान के नियमानुसार 2031 तक कोई भी बदलाव नहीं किया जा सकता।