शिक्षक ने कहा – मैं बच्चों को नहीं पढ़ाऊंगा, जो करना है कर लो… ग्रामीणों ने खोला मोर्चा, ADM से की शिकायत

खैरागढ़. जिले की लचर शिक्षा व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में है. ताजा मामला वनांचल क्षेत्र के देवरचा गांव के शासकीय प्राथमिक शाला से सामने आया है, जहां सहायक शिक्षक सूरजभान ठाकुर पर गंभीर आरोप लगाते हुए ग्रामीणों ने प्रशासन से शिकायत की है. ग्रामीणों का कहना है कि शिक्षक खुलेआम कहते हैं कि “मैं बच्चों को नहीं पढ़ाऊंगा, जो करना है कर लो.” इस गैर जिम्मेदाराना रवैये ने पूरे गांव में आक्रोश फैला दिया है.

शनिवार को ग्रामीणों ने खैरागढ़ के एडीएम प्रेम कुमार पटेल से मुलाकात कर शिकायत दर्ज कराई. ग्रामीणों ने बताया कि शिक्षक सूरजभान ठाकुर 2016 से विद्यालय में पदस्थ हैं, लेकिन पिछले 6 वर्षों में उन्होंने कभी भी कक्षाओं में पढ़ाई नहीं कराई. वर्तमान में वे सीएससी (कंप्यूटर सेवा केंद्र) के प्रभारी हैं और अपने पद का प्रभाव दिखाकर अधीनस्थ कर्मचारियों,बच्चों और ग्रामीणों पर दबाव बनाते हैं.

ग्रामीणों का कहना है कि शिक्षक सूरजभान का व्यवहार लगातार अनुचित और गैरजिम्मेदाराना रहा है. कई बार पंचायत बैठाकर समझाने की कोशिश की गई, लेकिन उनके रवैये में कोई बदलाव नहीं आया. शिक्षक का कहना है, “जहां शिकायत करनी है कर दो, मुझे फर्क नहीं पड़ता,” जो ग्रामीणों के लिए बेहद परेशान करने वाला है.

एडीएम ने मामले की जांच का दिया आश्वासन

12 दिसंबर को ग्रामवासियों ने सामूहिक बैठक कर शिक्षक की कार्यशैली और उनकी लापरवाहियों पर चर्चा की. बैठक में यह बात स्पष्ट हुई कि सूरजभान ठाकुर का व्यवहार बच्चों के भविष्य को गंभीर खतरे में डाल रहा है. इसके पहले भी ग्रामीणों और पंचायत ने खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) कार्यालय में शिकायत की थी. गंडई एसडीएम को भी अवगत कराया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. अब ग्रामीणों ने एडीएम से शिक्षक को तुरंत हटाने और स्कूल की व्यवस्था सुधारने की मांग की है. एडीएम प्रेम कुमार पटेल ने ग्रामीणों की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए जांच का आश्वासन दिया है.

कार्रवाई नहीं होने से प्रशासनिक उदासीनता उजागर

खैरागढ़ जिले में शिक्षा विभाग की लापरवाही का यह पहला मामला नहीं है. बार-बार ऐसी कई घटनाओं के बावजूद ठोस कार्रवाई का न होना प्रशासनिक उदासीनता को उजागर करता है. ग्रामीण अब प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं. यह मामला सिर्फ एक शिक्षक का नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में सुधार की मांग का है. बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए इस पर जल्द और सख्त कदम उठाए जाने की आवश्यकता है.

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