देवों के देव महादेव कहे जाने वाले भगवान शिव की भक्ति का महीना सावन इस बार रविवार, 25 जुलाई से शुरू हो रहा है। सावन का पहला सोमवार 26 को पड़ रहा है। सोमवार को भगवान शिव का दिन माना जाता है और सावन को भगवान शिव का महीना माना जाता है। ऐसे में सावन के सोमवार का खास महत्व होता है। इस दिन पूजा करने से बहुत जल्दी मनवांछित फल मिलता है। यहां हम इससे जुड़ी सभी जरूरी बातें बता रहे हैं। सावन का महीना कुल 29 दिनों का होगा, जिसमें 4 सोमवार होंगे और सावन शिवरात्रि भी है। सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा करने के लिए कुछ चीजों की जरूरत होती है। यहां इसी बारे में बता रहे हैं।
शिव की पूजा में जरूरी हैं ये चीजें
भगवान शिव की पूजा करते समय उन्हें शंख नहीं अर्पित करना चाहिए। इससे वो नाराज हो जाते हैं। उन्हें सफेद फूल अर्पित करना चाहिए और दूध से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए। भगवान शिव को दूध चढ़ाने से शुभ फल प्राप्त होता है। सावन में दूध से रुद्राभिषेक भी किया जाता है। इससे भक्त की मनोकामना पूरी होती है।
भगवान शिव की पूजा में जरूरी हैं ये चीजें
पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि शिव की पूजा के लिए जरूरी हैं।
सावन शिवरात्रि और सोमवार का महत्व
सावन की शिवरात्रि का व्रत करने से सभी पाप को नष्ट होते हैं। इससे कुवारें लोगों को मनचाहा वर या वधु मिलते हैं और दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ता है। वहीं सावन के सोमवार का व्रत रखने से तुरंत फल मिलता है। इससे शनि का दोष भी खत्म होता है। शिव की आराधना के लिए सावन का महीना सबसे उत्तम माह माना गया है।
भगवान शिव की पूजा विधि
सावन मास में सुबह जल्दी स्नान आदि से निवृत्त होकर घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। उसके बाद शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर गंगा जल और दूध के साथ धतूरा, बेलपत्र, पुष्प, गन्ना आदि अर्पित करें. ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें। अब धूप दीप से आरती करें। सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें और शिवलिंग पर गंगा जल और दूध चढ़ाएं। इसके बाद भगवान शिव को बेल पत्र और पुष्प अर्पित करें और आरती करके भोग लगाएं। भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग ही लगाया जाता है।