रायपुर एम्स में पेट और आंत से जुड़ी बीमारियों का इलाज शुरू, गैस्ट्रोएंटरोलाजी विभाग की सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को ओपीडी संचालित

Chhattisgarh Crimes

रायपुर। राजधानी के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में मरीजों की संख्या जैसे-जैसे बढ़ रही है, स्वास्थ्य सुविधाओं का भी विस्तार किया जा रहा है। एम्स में गैस्ट्रोएंटरोलाजी विभाग की ओपीडी बुधवार से शुरू हो गई है। गैस्ट्रोएंटरोलाजी विभाग की ओपीडी बी-ब्लाक के निम्न भूतल, मेडिकल आंकोलाजी ओपीडी के समीप सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को संचालित की जाएगी।

पेट और आंतों की समस्या से जुड़ी बीमारियों के इलाज के लिए मरीजों को अब निजी अस्पताल जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। एम्स की स्थापना 20 जून, 2012 के बाद से ही गैस्ट्रोएंटरोलाजी विभाग की ओपीडी शुरू करने का प्रयास किया जा रहा था। एम्स प्रबंधन का कहना है कि संस्थान की स्थापना के बाद से कई सुपरस्पेशलिटी सुविधाएं शुरू की गई हैं।

विगत चार दिनों पहले कार्निया ट्रांसप्लाट शुरू हुआ है। गैस्ट्रोएंटरोलाजी विभाग के लिए गैस्ट्रोएंटेरोलाजिस्ट की तलाश की जा रही थी, जो अब पूरी हो गई है। गौरतलब है कि प्रदेश के किसी भी शासकीय संस्थान में गैस्ट्रोएंटेरोलाजिस्ट नहीं हैं। डीकेएस सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में गैस्टो सर्जन हैं। गैस्ट्रोएंटेरोलाजिस्ट के लिए मरीजों को निजी अस्पताल जाने के लिए मजबूर होना पड़ता था।

गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट कोलोनोस्कोपी, एंडोस्कोपी, ईआरसीपी, गैस्ट्रोस्कोपी, एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड और लिवर बायोप्सी जैसे टेस्ट करते हैं। आंत और पेट के कुछ विशेषज्ञ एडवांस्ड एंडोस्कोपिक, हेपटोलाजी और अल्सरेटिव कोलाइटिस का इलाज भी करते हैं।

इन बीमारियों का इलाज संभव

गैस्ट्रोएंटरोलाजी के विशेषज्ञ डाक्टर होने से एसिड रेफ्लक्स, अल्सर, हेपेटाइटिस सी, पीलिया, बवासीर, मल में खून, पैंक्रियाटिटिस, कोलोन कैंसर, कब्ज, दस्त, क्रान डिसीज और अलसरेटिव कोलाइटिस आदि का इलाज संभव हो जाता है। इन बीमारियों के अनेक लक्षण हैं, जिसमें जी मिचलाना, उल्टी, दस्त, कब्ज, रेक्टल ब्लीडिंग, भूख कम लगना, वजन कम होना और सुस्ती आदि शामिल हैं।

गैस्ट्रोएंटरोलाजी विभाग की ओपीडी शुरू कर दी गई है। एम्स आने वाले मरीजों की संख्या में दिन-प्रतिदिन बढ़ोतरी हो रही है। प्रदेश भर के अलावा मध्य प्रदेश, ओडिशा, महराष्ट्र, उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों से भी मरीज इलाज कराने के लिए पहुंच रहे हैं।

-डा. नितिन एम. नागरकर, निदेशक, एम्स, रायपुर

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