मैनपुर। विकासखंड मुख्यालय मैनपुर राजापडा़व क्षेत्र के नगबेल, कोसुममुडा़, छिन्दभर्री, जरहीडीह,अड़गडी सहित अन्य गाँवो में सामुदायिक वन संसाधन दावे के लिए ग्राम सभा बैठक का दौर जारी है।
प्रेरक स्वयं सेवी संस्था के सामुदायिक प्रशिक्षक बंसत सोनी द्वारा सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र ग्राम सभा को मिले इस दिशा में लगातार कानून सम्मत प्रक्रिया को ग्रामसभा के माध्यम से आगे बढ़ा रहे हैं। वही गांव के मुखियाओ को वन अधिकारों की मान्यता अधिनियम के क्रियान्वयन हेतु मार्गदर्शिका बुकलेट का भी वितरण किया गया, जिससे दावा करने के लिए नियम कानून की जानकारी हो सके।
सामुदाय प्रशिक्षक ने जानकारी देते हुए बताया कि ग्राम सभा को सामुदायिक वन संसाधन का अधिकार मिलने से वन में निवास करने वाले आदिवासियों एवं अन्य परंपरागत वन निवासियों के लिए एक नए युग की शुरूवात होगी। क्योंकि यह अधिकार ग्राम वासियों को अपने जंगल बचाने के साथ-साथ उसका प्रबंधन करने का भी अधिकार देता है।
अपने जंगल और जंगली जानवरों को सुरक्षित रखते हुए उन्हें बढ़ाने का कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि यह अधिकार गांव को एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी देते हुए अपने गाँव के जंगल में समिति बना कर स्वयं प्रबंधन की दिशा में काम करेंगे।
वन अधिकारों की मान्यता कानून आदिवासियों एवं अन्य परंपरागत वन निवासियों के प्रति अंग्रेजों द्वारा किये गए ऐतिहासिक अन्याय को सुधारने की दिशा में एक प्रयास है। इसके माध्यम से जंगल के सभी अधिकार ग्राम सभा को मान्य किये जाने है।
जिससे वह जंगल को पहले जैसे अपना समझते हुए उससे अपनी आजीविका चला सके। एक तरफ से ग्राम सभा को जंगल का मालिकाना हक प्रदान करता है।
दावा की प्रक्रिया को विस्तार से समझाते हुए बताया कि दावा तैयार करने के लिए ग्रामवासियों द्वारा सबसे पहले अपनी गाँव की पारंपरिक सरहद का नजरी नक्शा तैयार किया जाना है। उसके बाद बीट गार्ड, पटवारी, पंचायत सचिव तथा गांव की सीमा से लगे सभी गांवों के बुजुर्गो की उपस्थिति में गाँव के पारंपरिक सीमा का ग्लोबल पोजिशनिंग (जीपीएस) के माध्यम से सत्यापन किया जायेगा तत्पश्चात सामुदायिक वन संसाधन के लिए समिति में दावा किया जाना है।