छात्रावास की नाबालिग बालिका हुई गर्भवती तो अधीक्षिका ने घर भेज करा दिया गर्भपात

Chhattisgarh Crimes
कांकेर। 
झलियामारी दुष्कर्म कांड के दस साल बाद आज भी जिले के छात्रावासों में पढ़ रही बालिकाओं की सुरक्षा की अनदेखी हो रही हैे। जिले में एक बार फिर कन्या आवासीय विद्यालय के छात्रावास की एक छात्रा के गर्भवती होने की घटना सामने आई है। मामला उजागर न हो इसलिए अधीक्षिका ने छात्रा को घर भेज दिया, जहां उसका गर्भपात करा दिया गया।

पूरे मामले में अधीक्षिका ने न तो विभाग को सूचना दी और न ही पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। इसकी वजह से आरोपी की भी पहचान नहीं हो पाई है। वहीं ग्रामीणों ने इसकी शिकायत शुक्रवार को विधायक विक्रम उसेंडी से की तो मामला उजागर हो गया। मामला सामने आने के बाद विभाग में हड़कंप मच गया। इस झकझोर देने वाली घटना को लेकर शुक्रवार शाम तक पुलिस में कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है। ग्रामीणों ने पूरे मामले में छात्रावास अधीक्षिका की लापरवाही को लेकर उसके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

जिले के एक गांव में पिछले दो साल से कन्या आवासीय विद्यालय का संचालन हो रहा है। वर्तमान में इस स्कूल सह छात्रावास के भवन का निर्माण नहीं हो पाया है। वर्तमान में पूर्व से संचालित हायर सेकेंडरी स्कूल में ही बालिकाओं को पढ़ाया जा रहा है। उसी परिसर में माध्यमिक शाला भवन को बालिकाओं के छात्रावास में बदल दिया गया है। यहीं छात्राएं रहती है।

अप्रैल महीने में यहां की एक 16 वर्षीय छात्रा के गर्भवती होने के बात सामने आई। छात्रा का गर्भ जैसे-जैसे बढ़ने लगा, मामला धीरे-धीरे सामने आने लगा। अधीक्षिका इसकी शिकायत करने के बजाए आरोपी को बचाने पूरे मामले को दबाने में जुट गई। छात्रा को तत्काल परिजनों के पास भेज दिया। परिजनों ने जिले से बाहर ले जाकर उसका गर्भपात करा दिया। गांव स्तर पर इसकी चर्चा होती रही और मामला खुल गया।

ग्रामीणों ने इसकी शिकायत विधायक उसेंडी से की तो मामला फूटा

प्राचार्य को भी झूठी जानकारी दी छात्रा के गर्भवती होने की जानकारी अधीक्षिका को थी। यह बात जब गांव में फैलते हुए तत्कालीन प्राचार्य तक भी पहुंची। तत्कालीन प्राचार्य ने बताया घटना की हकीकत जानने अधीक्षिका से इस संबंध में जानकारी ली थी, लेकिन उसने मामले की जानकारी होने के बावजूद कह दिया की छात्रावास में कोई भी बालिका गर्भवती नहीं है।

गांव में ही घर, रात में छात्रावास से चली जाती है अधीक्षिका

अधीक्षिका ने गांव में ही अपना मकान बना लिया है, जहां पति के साथ रहती है और रात को छात्राओं को महिला चपरासी के भरोसे छोड़ देती है। गांव की सरपंच ने कहा इस घटना की जानकारी पूरे गांव को हो चुकी है। छात्राओं की सुरक्षा को लेकर पूरा गांव एक मत है और अधीक्षिका समेत जो भी इसमें संलिप्त है, उसके खिलाफ निष्पक्ष जांच कर कड़ी कार्रवाई की जाए।

मामला दबाने के लिए वार्षिक परीक्षा में बैठने से रोका

छात्रा के गर्भवती होने के बाद जब उसका पेट दिखने लगा तो अधीक्षिका छात्रा को छिपा-छिपा कर रखती थी। मामला सामने न आ जाए इसलिए अधीक्षिका ने छात्रा को वार्षिक परीक्षा में बैठने भी नहीं दिया। इस दौरान उसे उसके घर भेज दिया था। छात्रावास की बालिकाओं के बीच यह चर्चा होती रही, जहां से यह बात गांव के अन्य लोगों तक पहुंच गई।

क्रिश्चन धर्म के प्रचार-प्रसार का आरोप

शिकायत पत्र में ग्रामीणों ने अधीक्षिका पर क्रिश्चन धर्म का प्रचार करने का भी आरोप लगाया है। अधीक्षिका जशपुर की रहने वाली है और स्वयं क्रिश्चियन धर्म को मानती है। ग्रामीणों ने बताया वह हर रविवार को छात्रावास की लड़कियों को चर्च ले जाती है। उन्हें क्रिश्चन धर्म से जोड़ने वह प्रयास कर रही है।

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