नवरात्रि के सातवें दिन होती मां कालरात्रि की पूजा, जानिए विधि, मंत्र एवं श्लोक

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नवरात्रि के नौ दिनों में मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि के सातवें दिन माँ दुर्गा की सातवीं शक्ति मां कालरात्रि पूजा की जाती है. दुर्गा पूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना का विधान है. देवी कालात्रि को व्यापक रूप से माता देवी- काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, मृित्यू, रुद्रानी, चामुंडा, चंडी और दुर्गा के कई विनाशकारी रूपों में से एक माना जाता है. रौद्री और धुमोरना देवी कालात्री के अन्य कम प्रसिद्ध नामों में हैं.

मां कालरात्रि के शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है. सिर के बाल बिखरे हुए हैं. गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है. इनके तीन नेत्र हैं. ये तीनों नेत्र ब्रह्मांड के सदृश गोल हैं. इनसे विद्युत के समान चमकीली किरणें निःसृत होती रहती हैं.

यह ध्यान रखना जरूरी है कि नाम, काली और कालरात्रि का उपयोग एक दूसरे के परिपूरक है, हालांकि इन दो देवीओं को कुछ लोगों द्वारा अलग-अलग सत्ताओं के रूप में माना गया है. माना जाता है कि देवी कालरात्रि रूप में सभी राक्षस, भूत, प्रेत, पिसाच और नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है, जो उनके आगमन से पलायन करते हैं.

ये हैं मां की पूजा विधि

चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर मां कालरात्रि का स्मरण करें। फिर माता को अक्षत्, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ का नैवेद्य श्रद्धापूर्वक चढ़ाएं। मां कालरात्रि का प्रिय पुष्प रातरानी है, यह फूल उनको जरूर अर्पित करें। इसके बाद मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें तथा अंत में मां कालरात्रि की आरती करें। ऐसा करने से आप पर आने वाले संकट दूर होंगे। ध्यान रखें कि आरती और पूजा के समय आपका सिर खुला न रहे, उसे किसी साफ कपड़े से ढंक लें।

ये हैं मां को प्रसन्न करने का श्रलोक

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी ||
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा
वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयन्करि ||

इस मंत्र का करें जाप

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

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