16 वन अतिक्रमणकारी के द्वारा काबिज वन भूमि पर चला बुलडोजर

  • कक्ष क्रमाक 1138 मे कुल रकबा 21.480 गोना बीट के मामला
  • टाइगर रिजर्व का 21.48 हेक्टेयर जंगल वन अतिक्रमण कार्यों ने कांँटा।
    3 वन मंडलों की 22 महिला वनरक्षकों ने हटाया अतिक्रमण
    एवं बनाया वाटर हार्वेस्टिंग पिट्स रोपे गए 600 पौधे।
  • वन अतिक्रमण कारियो ने 12 वर्षों में लगभग 8000 वृक्षों को काँटकर मक्का धान की ले रहे थे फसल कई सुखे झाड़ अभी भी मौके पर है मौजूद
    वन पट्टा धारियों एवं अतिक्रमण कारियो की मिलीभगत वृक्षों को काट वन भूमि लीज देकर मुनाफे को बाँटते थे बराबर
    इसरो से प्राप्त सैटलाइट इमेजरी से हुआ खुलासा वर्ष 2006 एवं 2012 में था घना जंगल वन पट्टो की भी होगी पृथक से जांच
  • वन कर्मियों पर भी 6 जुलाई को किया था जानलेवा हमला
    एफआईआर भी हुई थी दर्ज
  • कुछ आरोपियों को वर्ष 2017 में भी पीओआर दर्ज कर जेल दाखिला किया था वन विभाग
  • बेदखली कार्यवाही के दौरान 22 अक्टूबर 2024 को सभी 15 अतिक्रमणकारी मौके से फरार पाए गए एवं कार्यवाही से पूर्व ही फसल का दोहन कर चुके थे वन पट्टा धारक
    मेहत्तर नेताम ने बताया अतिक्रमणकारी अशोक नेताम के साथ मिलकर अवैध कटाई कर फसल के मुनाफे को बाँटते थे बराबर

Chhattisgarh Crimes

पूरन मेश्राम/मैनपुर। उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के वन परिक्षेत्र तौरेंगा बफर के अंतर्गत गोना बीट के संरक्षित कक्ष क्रमांक 1138 पर लगभग 21.480 हेक्टेयर मे गोना नयापारा के 16 व्यक्तियों के द्वारा खेती करने के उद्देश्य से अवैध रूप से वन भूमि में अतिक्रमण किया गया एवं हाथी वन्य प्राणी रहवास क्षेत्र को क्षति पहुंँचाई गई।जिसको वन विभाग कार्यालय पत्र के माध्यम से दिनांक 31/8/2024 एवं 18/ 9/2024 तथा 7/10/2024 को कारण बताओं नोटिस जारी किया गया था जिसके तहत वन अतिक्रमणकारियों द्वारा कारण बताओ सूचना पत्र का कोई जवाब नहीं दिया गया और न हीं वन अधिकार मान्यता अधिनियम 2006 एवं नियम 13 अंतर्गत कब्जा संबंधी कोई साक्ष्य प्रस्तुत किया गया।उक्त अतिक्रमण क्षेत्र का इसरो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र से प्राप्त इमेजरी एवं गूगल अर्थ सैटलाइट वर्ष 2012,2014, 2020, एवं 2023 से स्पष्ट हुआ कि वन भूमि पर अवैध अतिक्रमण किया गया है एवं वृहद पैमाने पर वृक्षों की कटाई की गई है।

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उक्त वन भूमि को 2005 के बाद ही अतिक्रमण होना पाया गया है। वन अतिक्रमण कारियो के द्वारा उक्त काबिज क्षेत्र का व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र भी प्रस्तुत नहीं किया गया है।इसके अतिरिक्त वन परिक्षेत्राधिकारी तौरेंगा द्वारा विभाग को यह भी अवगत कराया गया कि उक्त अतिक्रमण कारी/कब्जाधारियों के पास या उनके पिताजी अन्य रिश्तेदारो के नाम से भूमि जमीन अन्य आसपास के गांव में है।

इसके बावजूद भी वे सभी अतिक्रमणकारी भूमि के लालच मे वन भूमि को काबिज किये जा रहे है। वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 34 (क) एवं भारतीय वन अधिनियम 1927 संशोधन 1965 की धारा 80 (क) के तहत प्रद्दत शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह आदेश पारित किया जाता है कि वन भूमि पर किए गए अतिक्रमण
बागड़े/ मैदान/ झोपड़ी/ टपरा को आदेश प्राप्ति के 15 दिवस के भीतर स्वयं से वन भूमि पर किए गए अतिक्रमण से मुक्त कर लेवे अन्यथा अतिक्रमण स्थल मुक्त नहीं किए जाने की स्थिति में दिनांक 22.10.2024 को दलबल सहित आपको वनभूमि पर किया गया अतिक्रमण से मुक्त कराया जावेगा।

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उदन्ती सीतानदी टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक वरुण जैन स्वयं विभागीय टीम एवं पुलिस बल के सहयोग से अतिक्रमण स्थल मुक्त कराने के लिए मुस्तैदी के साथ डटा रहा।

इसमें आया नया मोड़

जिसे अतिक्रमण स्थल मान रही वन विभाग वहीं पर वन अधिकार पत्र होने का दावा कर रहे 9 ग्रामीण वन अधिकार पत्र लेकर डीएफओ को दिखाया गया और जो बताए वह किसी कहानी से कम नहीं लगता है। 1986 के आसपास गोंना के ररवासी 9 किसान जिन्होंने कंपार्टमेंट नंबर 1138 जहां पर वन विभाग द्वारा अतिक्रमण मुक्त कराया जा रहा है।

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वही पर 23.07 हेक्टेयर वन भूमि पर काबिज कर खेती करते हुए जीवन यापन कर रहे थे। 1994 में उक्त काबिज जमीन पर वन विभाग एवं वन सुरक्षा समिति के द्वारा बाँस रोपण किया गया लेकिन जिन उद्देश्यों को लेकर बांँस रोपित किया गया था जहाँ सकारात्मक लाभ नहीं मिलने एवं सुरक्षा के अभाव में बाँस रोपण नर्सरी उजड़ने पर 2001 और 2002 में फिर पुनः कब्जाधारी किसान खेती करना चालू कर दिए।

वन अधिकार मान्यता कानून आने के बाद 2008 में उक्त काबिज कृषकों के द्वारा वन दावा प्रपत्र भरे जाने के बाद 9 कृषकों को 23.07 हेक्टेयर का अधिकार पत्र मिल गया। जो उनके पास मौजूद है।फिर अचानक 2010 के आसपास नयापारा के ग्रामीणों के द्वारा हमारे गांव का सरहद है। हम लोग काबिज करके खेती करेंगे इसमें किसी का भी अधिकार नहीं होना चाहिए।ऐसा करके मारपीट किया गया दहशत में आकर एवं पारिवारिक रिश्ता होने के कारण पट्टा धारी किसान वहां पर खेती करना छोड़ दिए और सिर्फ खेती किसानी के लिए शासकीय ऋण का लाभ वन अधिकार पत्र से लेने लग गए।

असली मालिक लगातार चुप रहा जिसके कारण उनके वाजिब वन भूमि पर गैर लोगो द्वारा कब्जा कर लगातार खेती करना चालू कर दिए। यहां तक के वन अतिक्रमण के चलते जेल के सलाखों तक भी उन लोग गए थे तब भी यह खेल किसी को समझ में नहीं आया।

वन विभाग के द्वारा तीन-तीन बार कारण बताओं नोटिस जारी होने के बाद भी मामले की जानकारी वन विभाग को नही दिया गया। 22 अक्टूबर को वन विभाग के टीम विभागीय अमले के साथ जब वहां पहुंँचे तब मामले की जानकारी हुई।
इस मामले पर उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक वरुण जैन ने कहा कि वास्तविकता में 9 लोगों को वन अधिकार पत्र मिला है जिनका विधीवत सीमांकन कराया जायेगा।

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