मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के तहत 18.39 लाख लोगों की जांच, पॉजिटिव पाए गए 10,930 मरीजों का इलाज

बस्तर संभाग में मलेरिया पॉजिटिविटी दर 4.6 प्रतिशत से घटकर 0.86 प्रतिशत हुई

प्रदेश से मलेरिया को खत्म करने 21 जिलों में अभियान, 20.43 लाख लोगों की जांच की जाएगी

Chhattisgarh Crimes

रायपुर। मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग की टीम अब तक चार लाख आठ हजार 266 घरों में पहुंचकर 18 लाख 38 हजार 607 लोगों की मलेरिया जांच कर चुकी है। इस दौरान पॉजिटिव पाए गए दस हजार 930 मरीजों का मौके पर ही इलाज शुरू किया गया है। बस्तर संभाग के सातों जिलों में इस अभियान का चौथा चरण 15 जून से शुरू किया गया है। चौथे चरण में अब तक वहां 11 लाख से अधिक लोगों की मलेरिया जांच की गई है, जिनमें 9707 लोग पॉजिटिव पाए गए हैं। सरगुजा संभाग के पांचो जिलों में इस अभियान के दूसरे चरण तथा पहले चरण वाले नौ जिलों को मिलाकर सात लाख 12 हजार 892 लोगों की मलेरिया जांच की गई है, जिनमें 1223 मलेरियाग्रस्त पाए गए हैं। इनमें से 215 मरीजों में मलेरिया के कोई लक्षण नहीं थे। बस्तर संभाग में भी बिना लक्षण वाले मलेरिया के 5053 मामले मिले हैं।

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बस्तर और सरगुजा संभाग में पूर्व में संचालित मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के अच्छे नतीजों को देखते हुए इस बार इसे प्रदेश के 21 जिलों में विस्तारित किया गया है। राज्य शासन के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, छत्तीसगढ़ द्वारा संचालित इस अभियान के अंतर्गत 20 लाख 43 हजार से अधिक लोगों की मलेरिया जांच का लक्ष्य है। अभियान के दौरान मितानिनों एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की टीम घने जंगलों और पहाड़ों से घिरे बस्तर संभाग के पहुंचविहीन, दुर्गम एवं दूरस्थ इलाकों में घर-घर पहुंचकर 11 लाख 37 हजार से अधिक लोगों की जांच करेगी। वहीं 14 अन्य जिलों में करीब नौ लाख छह हजार लोगों की मलेरिया जांच की जाएगी।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला ने बताया कि बस्तर संभाग में अभियान के पहले, दूसरे और तीसरे चरण में पॉजिटिविटी दर क्रमशः 4.6 प्रतिशत, 1.27 प्रतिशत और 1.03 प्रतिशत रही थी, जो अभी वर्तमान में संचालित चौथे चरण में और घटकर 0.86 प्रतिशत पर आ गई है। अभियान के प्रभाव से वहां मलेरिया के मामलों में लगातार कमी आ रही है। चौथे चरण के दौरान अब तक पॉजिटिव पाए गए 48 प्रतिशत मरीजों में मलेरिया के लक्षण दिखाई दे रहे थे, जबकि 52 प्रतिशत में इसके कोई लक्षण नहीं थे।

बस्तर संभाग में मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के चौथे चरण में स्वास्थ्य विभाग की टीम अब तक दो लाख 33 हजार 049 घरों में पहुंचकर 11 लाख 25 हजार 715 लोगों की मलेरिया जांच कर चुकी है। इस दौरान पॉजिटिव पाए गए 9707 लोगों का तत्काल इलाज शुरू किया गया। अभियान के तहत अब तक बस्तर जिले में एक लाख 44 हजार 441, बीजापुर में दो लाख 07 हजार 847, दंतेवाड़ा में दो लाख 40 हजार 445, कांकेर में 67 हजार 115, कोंडागांव में 59 हजार 841, सुकमा में दो लाख 64 हजार 280 और नारायणपुर में एक लाख 41 हजार 746 लोगों की जांच की जा चुकी है। इस दौरान बस्तर जिले में 1458, बीजापुर में 1455, दंतेवाड़ा में 1215, कांकेर में 537, कोंडागांव में 371, सुकमा में 1102 और नारायणपुर में 3569 लोग मलेरियाग्रस्त पाए गए।

मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के दूसरे चरण वाले सरगुजा जिले में अब तक 66 हजार 749, सूरजपुर में 21 हजार 143, बलरामपुर-रामानुजगंज में एक लाख 18 हजार 522, जशपुर में 98 हजार 311 और कोरिया में 65 हजार 930 लोगों की जांच की गई है। अभियान में पहली बार शामिल गरियाबंद जिले में अब तक एक लाख 11 हजार 411, धमतरी में 71 हजार 753, कोरबा में 22 हजार 634, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में 15 हजार 246, रायगढ़ में 31 हजार 635, मुंगेली में 4670, राजनांदगांव में 38 हजार 435, कबीरधाम में 22 हजार 458 तथा बालोद में 23 हजार 995 लोगों की मलेरिया जांच की गई है। इन जिलों में स्वास्थ्य विभाग की टीम अब तक एक लाख 71 हजार घरों में पहुंचकर सात लाख 12 हजार 892 लोगों की जांच कर चुकी है, जिनमें 1223 पॉजिटिव मरीज पाए गए हैं। इनमें सरगुजा के आठ, बलरामपुर के 11, कोरिया के 21, जशपुर के चार, गरियाबंद के 481, धमतरी के 224, कोरबा व मुंगेली के एक-एक, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के दो, रायगढ़ के 20, राजनांदगांव के 309, कबीरधाम के 76 और बालोद जिले के 65 मरीज शामिल हैं।

अभियान के दौरान मलेरिया के मरीजों को निःशुल्क दवा देने के साथ ही घरों में मच्छररोधी स्प्रे का छिड़काव, लार्वा को नष्ट करने की गतिविधि और मेडिकेटेड मच्छरदानियों का वितरण किया जा रहा है। लोगों को मच्छरों और मलेरिया से बचाव के बारे में जागरूक भी किया जा रहा है। नियमित सर्विलेंस के दौरान मलेरिया के लक्षण रहित मरीज पकड़ में नहीं आते हैं। बिना लक्षण वाले मरीज रिजर्वायर के रूप में समुदाय में रहते हैं और इनके द्वारा मलेरिया का संक्रमण होते रहता है। लक्षण रहित मलेरिया एनीमिया और कुपोषण का भी कारण बनता है।