49 साल के अधेड़ ने 12 साल की दिव्यांग बच्ची से किया था रेप, दुष्कर्मी को मरते दम तक जेल की सजा

Chhattisgarh Crimes

कवर्धा। कवर्धा में कोर्ट ने एक 49 साल के शख्स को मरते दम तक जेल में रहने की सजा दी है। दोषी ने एक 12 साल की मानसिक व शारीरिक रूप से दिव्यांग बच्ची के साथ दुष्कर्म किया था। इस मामले में कोर्ट ने पीड़ित की इशारों में दी गई गवाही के बाद 2 साल बाद फैसला सुनाया है।

मामला 22 अगस्त 2019 का है। जब बोड़ला थाना क्षेत्र में सुखनंदन बर्वे उम्र 49 वर्ष के व्यक्ति ने बच्ची के साथ दुष्कर्म किया था। बच्ची मानसिक रूप से कमजोर थी और सही ढंग से बोल भी नहीं पाती है। इसी बात का फायदा उठाकर सुखनंदन पीड़ित के स्कूल से वापस आने के दौरान उसे अपने निर्माणाधीन घर में ले गया। वहां उसके साथ रेप किया। इस मामले में पुलिस ने सुखनंदन को 23 अगस्त को गिरफ्तार किया था।

बच्ची की गवाही रही महत्वपूर्ण

इस प्रकरण में बच्ची की गवाही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण रही है। बच्ची ने कोर्ट में विशेष न्यायाधीश वेन्सेस्लास टोप्पो के सामने इशारों में ही गवाही दी। क्योंकि बच्ची सही ढंग से नहीं बोल पा रही थी। गवाही के दौरान बच्ची की मां भी कोर्ट में मौजूद रही। बच्ची द्वारा किए गए इशारों को मां ने सत्यापित किया। शुक्रवार को कोर्ट ने इस मामले में धारा 363 व 366 में 5-5 वर्ष व 500-500 रुपए का अर्थदंड व 376(क,ख) में मरते दम तक की जेल की सजा सुनाई है।

दोषी सुखनंदन बर्वे 23 अगस्त 2019 से जेल में बंद है। जिसे जमानत का लाभ नहीं मिला था। गंभीर अपराध होने के कारण कोर्ट ने पहले ही दोषी की जमानत को खारिज कर दिया था। इस प्रकरण में मात्र दो वर्ष के भीतर ही फैसला आ गया है। पीड़ित बच्ची के साथ-साथ अन्य लोगों के गवाह हुए हैं। सभी के गवाह व बयान को देखते हुए कोर्ट ने 34 पेज में अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को क्षतिपूर्ति देने के निर्देश दिए हैं। प्राधिकरण के सचिव अमित प्रताप चन्द्रा ने बताया कि शुक्रवार को कोर्ट के फैसले के बाद उनके पास फाईल आ गई है। पीड़ित बच्ची को जल्द से जल्द क्षतिपूर्ति राशि दिए जाने को लेकर कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

दोषी सुखनंदन बर्वे ने अपने बचाव में बोड़ला के ही एक व्यक्ति का बयान भी कोर्ट में दर्ज कराया। लेकिन इसे कोर्ट ने यह मानकर खारिज कर दिया कि बचाव के लिए जिस व्यक्ति की गवाही कराई गई, उसे जमानत के दौरान व विवेचना में शामिल क्यों नहीं कराया। इसी प्रकार बचाव पक्ष ने यह भी दलील दी कि वह अपने गांव में घर का निर्माण करा रहा है। घर निर्माण कराए जाने पर पीड़ित के परिवार वाले उनसे ईर्ष्या की भावना रखते हैं। इस कारण उसे फंसाया गया है। लेकिन ये भी दलील कोर्ट ने स्वीकार नहीं की।