रायपुर में सैनिटाइजर के 60 फीसद सैंपल फेल

Chhattisgarh Crimes

रायपुर। कालाबाजारी और नकली सामान बेचने वालों ने आपदा को अवसर के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। प्रदेश में 200 से ज्यादा ब्रांड के सैनिटाइजर बिक रहे हैं, लेकिन असली और नकली की पहचान कर पाना मुश्किल है। खाद्य एवं औषधि विभाग ने राजधानी में सैनिटाइजर के जो सैंपल लिए, उसमें 60 फीसद फेल हो गए। नकली सैनिटाइजर के कारोबार की शिकायत मिलने के बाद विभाग के अधिकारियों ने राजधानी रायपुर से अप्रैल और मई महीने में सिर्फ नौ सैंपल लिए, जिसमें से पांच सैंपल मानकों में खरा नहीं उतरे।

अधिकारियों ने बताया कि इन सैनिटाइजर में मिथाइल एल्कोहल पाया गया, जो आंख के लिए खतरनाक माना जाता है। सस्ता होने के कारण मेथेनाल का सैनिटाइजर में इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ ही सैनिटाइजर के मार्च में लिए गए सैंपल में तीन सैंपल फेल हो गए। कोरोना की पहली लहर में स्वास्थ्य विभाग के सीजीएमएससी (छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कार्पोरेशन) ने भी सैनिटाइजर की अस्पतालों के लिए खरीदी की थी।

सीजीएमएससी के पांच सैंपल फेल हो गए थे। अब कोरोना की दूसरी लहर में खाद्य एवं औषधि विभाग के अधिकारियों ने खुले बाजार से सैंपल लिए हैं। वहीं सीजीएमएससी में सप्लाई हुए सैनिटाइजर की जांच नहीं की गई है।

प्रदेश में 300 करोड़ रुपये का है सैनिटाइजर का कारोबार

कोरोना संक्रमण के बाद प्रदेश में सैनिटाइजर का कारोबार 300 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। प्रदेश में करीब 200 से ज्यादा ब्रांड के सैनिटाइजर बाजार में उपलब्ध हैं। जांच के अभाव में बिना रजिस्ट्रेशन और बिना लाइसेंस के सैनिटाइजर की बिक्री की जा रही है। खाद्य एवं औषधि विभाग के अधिकारियों की लापरवाही का आलम यह है कि छत्तीसगढ़ में सिर्फ राजधानी रायपुर में ही सैंपल लिए गए हैं। वहीं, ग्रामीण क्षेत्र में बड़े पैमाने पर नकली सैनिटाइजर का खेल चल रहा है।

जहां नकली सैनिटाइजर की शिकायत मिली है, उसकी जांच की गई है। नौ में से पांच सैंपल फेल पाए गए, जबकि चार मानक पर खरे उतरे हैं। नकली सैनिटाइजर बनाने वाले संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।

– केडी कुंजाम, नियंत्रक, खाद्य एवं औषधि विभाग, छत्तीसगढ़