श्रीनगर। भारतीय वायु सेना (IAF) ने जम्मू-कश्मीर के अवंतीपोरा एयरबेस पर हल्के लड़ाकू विमान तेजस MK-1 को तैनात किया है। सेना का कहना है कि उसके पायलट्स घाटी में उड़ान का अनुभव ले रहे हैं।
कश्मीर, पड़ोसी देशों चीन-पाकिस्तान के लिहाज से संवेदनशील है। तेजस MK-1 मल्टीरोल हल्का लड़ाकू विमान है जो वायुसेना को कश्मीर के जंगल और पहाड़ी इलाकों में और मजबूत करेगा।
भारतीय वायु सेना के पास मौजूदा वक्त में 31 तेजस विमान हैं। सेना जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में अपने विमानों को पहले भी ले जाती रहती है ताकि उन्हें हिमालय की घाटियों में उड़ान भरने का एक्सपीरियंस मिलता रहे।
वायुसेना की नजर M2 और AMCA पर भी है
भारतीय वायु सेना तेजस की कैपेबिलटीज बढ़ाने की पुरजोर समर्थन कर रही है। वायु सेना ने पहले ही अपने दो स्क्वाड्रनों को इसके इनीशियल और फाइनल ऑपरेशन की मंजूरी दे दी है। वहीं 83 मार्क1A के लिए एक कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है। ये सभी 83 विमान एक या दो साल में सेना को मिल जाएंगे।
हालांकि सेना की नजर DRDO में डेवलप किए जा रहे LCA मार्क-2 और एडवांस्टड मल्टीरोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट AMCA पर भी है। ये लड़ाकू विमान पहले से ही पाकिस्तानी और चीनी JF-17 फाइटर जेट की तुलना में कहीं ज्यादा ताकतवर हैं। इसमें हैमर जुड़ने से यह विमान और ज्यादा हाईक्लास हो गया है।
आखिर तेजस की जरूरत क्यों पड़ी?
पिछले पांच दशक में 400 से ज्यादा MiG-21 विमान क्रैश होने की वजह से भारत सरकार इसे रिप्लेस करना चाह रही थी। तेजस, MiG-21 की जगह लेने में कामयाब हुआ। वजन कम होने की वजह से यह समुद्री पोतों पर भी आसानी से लैंड और टेक ऑफ कर सकता है। यही नहीं, इसकी हथियार ले जाने की क्षमता MiG-21 से दोगुनी है। स्पीड की बात करें तो राफेल से 300 KMPH ज्यादा रफ्तार तेजस की है।