रायपुर। भाजपा ने 21 सीट पर उम्मीदवारों की सूची जारी करने के बाद कुछ विधानसभा क्षेत्रों से अंतरकलह की बात सामने आ रही है। इसे खत्म करने के लिए चुनाव प्रभारी ओम माथुर ने एक नया फार्मूला निकाला है। हर सीट पर प्रबल उम्मीदवारों से यह पूछा जा रहा है कि अगर आपको टिकट नहीं दी जाती है तो आप किसे ठीक मानते हैं। वो जिस भी नाम को बता रहे हैं उसे शार्टलिस्ट किया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो पांचों सर्वे में भी अगर वह नाम है तो उसे टिकट मिलने की संभावना सबसे अधिक होगी। ऐसे में कोई भी उस उम्मीदवार का विराेध नहीं कर पाएगा। जो भी पदाधिकारी उस उम्मीदवार का नाम नहीं दे रहे हैं, उन्हें भी चिन्हित किया जा रहा है। बाद में उनसे वजह भी पूछी जाएगी कि आपने उम्मीदवार को बेहतर क्याें नहीं माना।
चुनाव प्रभारी ओम माथुर छत्तीसगढ़ दौरे पर हैं। तीन दिन पहले उन्होंने पर्यवेक्षकों को हर सीट पर जाने को कहा और विधानसभा क्षेत्र में पदाधिकारियों की बैठक लेकर उम्मीदवारों के नाम लाने की जिम्मेदारी दी है। आनन-फानन में सरगुजा संभाग की 9 सीटों को छोड़कर 60 सीटों के लिए 38 पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की गई। शनिवार को 60 सीटों पर पर्यपेक्षक पहुंचे। उन्होंने सबसे चर्चा कर उस विधानसभा में तीन-तीन नाम का पैनल बनाया है। बाकी बचे नामों को भी शार्टलिस्ट किया गया है। इसके अलावा सरगुजा संभाग की 9 सीटों पर ओम माथुर, नितिन नबीन ने खुद वन टू वन किया।
23 साल में पहली बार ऐसा
छत्तीसगढ़ में पहली बार ऐसा हुआ है कि हर विधानसभा सीट पर पर्यवेक्षकों की बैठक में तीनों सत्र के संगठन पदाधिकारियों को बुलाया गया है। पहले केवल वर्तमान पदाधिकारियों को बुलाकर ही बैठक की जाती थी। बताया जा रहा है कि एक-एक बैठक में 70-80 पदाधिकारी पहुंच रहे हैं। मंडल, जिले के पदाधिकारियों के अलावा पार्षद और विधानसभा कोर कमेटी भी उपस्थित रह रही है। रविवार को पर्यवेक्षकों ने अपनी रिपोर्ट ओम माथुर को सौंप दी है। सोमवार को माथुर इन सभी पर्यवेक्षकों के साथ बैठक कर 69 सीटों पर मंथन करेंगे। बताया जा रहा है दूसरी सूची के लिए पैनल भी तैयार है। पर्यवेक्षकों के सुझाव के बाद इसमें परिवर्तन हो सकता है।
इस वजह से तैनात हुए पर्यवेक्षक
हर विधानसभा चुनाव में पर्यवेक्षकों को भेजा जाता है, लेकिन इस चुनाव की पहली सूची इनके सुझाव के बिना ही जारी कर दी गई। इसमें लुंड्रा से प्रबोज मिंज को मिले टिकट पर खासा विरोध हुआ। इसे देखते हुए पार्टी ने निर्णय लिया कि पर्यवेक्षकों से मंडल और जिले स्तर पर उम्मीदवार की संगठन में स्थिति पता की जाए। जिससे टिकट मिलने के बाद कोई विरोध सामने न आए।
भाजपा ऐसे बांट रही टिकट
- भाजपा में इस बार किसी भी क्षत्रप की नहीं चल रही है। पांच तरह के सर्वे किये गए हैं। हर सर्वे एजेंसी से तीन-तीन नामों का पैनल मांगा गया है।
- संभाग प्रभारियों से भी हर विधानसभा के तीन प्रबल उम्मीदवारों के नाम मांगे गए हैं।
- अब पर्यवेक्षकों से भी तीन नाम मांग जाएंगे। जो नाम कॉमन होगा उसके बारे में अलग से खुफिया एजेंसियों से जांच करवाई जाएगी। अगर वह जिताऊ कैंडिडेट होगा तो उसे टिकट दी जाएगी।
- सूची में एक नाम कॉमन मिलता है, लेकिन पर्यवेक्षकों के पैनल में वह नाम नहीं होगा तो उस सीट पर दोबारा सर्वे करवाया जाएगा।