राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का किया आयोजन

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पूरन मेश्राम/मैनपुर। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला गरियाबंद डॉक्टर के.सी.उरांव के निर्देशानुसार खंड चिकित्सा अधिकारी गजेंद्र ध्रुव के मार्गदर्शन में विकासखंड मैनपुर के सभी ग्रामों के स्कूलों, आंगनबाड़ी केन्द्रों,कॉलेज, तकनीकी संस्थानों में आज 10 फरवरी को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के अवसर पर विकासखंड मैनपुर के 48000 बच्चों को कृमि की दवा का सेवन कराया गया। खंड विस्तार प्रशिक्षण अधिकारी मुकेश कुमार साहू के संयोजन में यह अभियान स्कूल शिक्षा विभाग ,महिला बाल विकास विभाग एवं स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से सफलता पूर्वक संपन्न हुआ।

उन्होंने बताया कि इस अभियान के लिए विकासखंड मैनपुर की समस्त सेक्टर सुपरवाइजर, आरएचओ ,सीएचओ, नोडल शिक्षक ,मितानिन समन्वयक और मितानिनों को प्रशिक्षण दिया गया है। इनके द्वारा आज एक से 19 वर्ष के सभी बच्चों को अपने-अपने केन्द्रों में कृमिनाशक टैबलेट एल्बेंडाजोल का सेवन कराया गया।

जिसमें 1 से लेकर 5 वर्ष के बच्चों एवं शाला त्यागी को आंगनबाड़ी केंद्रों में मितानिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से दवा सेवन कराया गया। 6 से लेकर 19 वर्ष तक के सभी बच्चों को स्कूलों, महाविद्यालय, तकनीकी संस्थानों में शिक्षकों के माध्यम से दवाई का सेवन कराया गया। यह अभियान प्रतिवर्ष 6 माह के अंतराल पर 10 फरवरी और 10 अगस्त को मनाया जाता है। अभियान का मुख्य उद्देश्य सभी बच्चों को कृषि से मुक्त करना है। कृमि के संक्रमण से बच्चों में एनीमिया खून की कमी, कुपोषण ,कमजोरी, भूख न लगना ,थकान, वजन में कमी, पेट में दर्द, जी मिचलाना, उल्टी दस्त की शिकायतें होती हैं।

जो कालांतर में गंभीर रूप धारण कर गंभीर कुपोषण से शिशु मृत्यु का कारण बनती है। इन सब से बचाव के लिए प्रत्येक माता-पिता को चाहिए कि अपने-अपने बच्चों को 6 माह के अंतराल पर साल में दो बार एल्बेंडाजोल टैबलेट का सेवन अवश्य कराए। जिससे कृमि से छुटकारा, सेहतमंद भविष्य हमारा का संकल्पना साकार हो सके। खून की कमी को दूर किया जा सके। इससे बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास बेहतर होता है। कृमि संक्रमण और पोषण अभियान एक दूसरे के पूरक हैं। जो बच्चे 10 फरवरी को किसी कारणवश एल्बेंडाजोल की दवाइयां का सेवन नहीं कर पाए हैं, उन्हें 15 फरवरी को पुनः सभी संस्थानों में एल्बेंडाजोल की दवाई का सेवन कराया जायेगा। इस अभियान को सफल बनाने के लिए खंड शिक्षा अधिकारी, सभी स्कूलों के नोडल शिक्षक, सेक्टर सुपरवाइजर,मितानिन समन्वयक, मितानिन प्रशिक्षक, ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक , सीएचओ और सभी मितानिन बहनों का सराहनीय योगदान रहा।