गुप्त नवरात्रि में ध्यान-साधना करके दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति होती है : पंडित योगेश शर्मा

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पूरन मेश्राम/मैनपुर। हिन्दू धर्म में माघ महीने का विशेष महत्व है। इस महीने मे पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि को भी बहुत ही खास माना जाता है। इस नवरात्रि में व्यक्ति ध्यान-साधना करके दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करते है। माघ मास की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। गुप्त नवरात्रि खासतौर से तंत्र-मंत्र और सिद्धि-साधना आदि के लिये बहुत ही खास माना जाता है। मां दुर्गा की पूजा , भक्ति और सिद्ध शक्तियों की प्राप्ति के लिये नवरात्रि सबसे उत्तम दिन होते हैं। इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुये पंडित योगेश शर्मा ने बताया कि पूरे वर्ष में चार नवरात्रि आती है जिसमें चैत्र और आश्विन मास के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नवमीं तक दो प्रकट नवरात्रि होते हैं।

इसी तरह माघ और आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नवमीं तक दो गुप्त नवरात्रि होती है। गुप्त नवरात्रि भी प्रकट नवरात्रि की तरह ही सिद्धिदायक होती है। बल्कि ये प्रकट नवरात्रि से भी ज्यादा प्रबल होती है। गुप्त नवरात्रि को तंत्र-मंत्र साधना के लिये विशेष तौर पर जानी जाती है। कहा जाता है कि गुप्त नवरात्रि में की जाने वाली पूजा से कई कष्टों से मुक्ति मिलती है।

ये नवरात्रि भी प्रकट नवरात्रियों की तरह नौ दिन ही मनायी जाती हैं। गुप्त नवरात्रियों में मां भगवती की पूजा की जाती है। इस गुप्त नवरात्रियों का महत्व चैत्र और शारदीय नवरात्रियों से ज्यादा होता है।क्योंकि गुप्त नवरात्रियों में मां दुर्गा शीघ्र प्रसन्न होती हैं। गुप्त नवरात्र को खासतौर से तंत्र-मंत्र और सिद्धि-साधना आदि के लिये बहुत ही खास माना जाता है। इस दौरान व्यक्ति ध्यान-साधना करके दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करते है। इस नवरात्रि को करने में साधक को पूर्ण संयम और शुद्धता के साथ मां भगवती की आराधना करनी चाहिये। गुप्त नवरात्रि की पूजा के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरुपों के साथ-साथ दस महाविद्यियाओं की भी पूजा का विशेष महत्व है।

ये दस महाविद्यायें मां काली, तारा देवी त्रिपुर सुंदरी , भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी , मां धूमावती, मां बगुलामुखी ,मातंगी और कमला देवी हैं। इस दौरान मां की आराधना गुप्त रुप से की जाती है।इसलिये भी इन्हें गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। यह नवरात्र भी चैत्र और शारदीय नवरात्रियों की तरह मनाये जाते है। गुप्त नवरात्रि मुख्य रूप से साधुओं,तांत्रिकों द्वारा मां को प्रसन्न करने और तंत्र साधना की सिद्धि के लिये किया जाता है।

मान्यतानुसार इस नवरात्रि की पूजा को गुप्त रखने से दोगुना फल मिलता है। गुप्त नवरात्रि का महत्व,प्रभाव और पूजा विधि बातने वाले ऋषियों में श्रृंगी ऋषि का नाम सबसे पहले लिया जाता है। धार्मिक कथाओं के अनुसार एक बार एक महिला श्रृंगी ऋषि के पास पहुंचकर उनसे कहा कि मेरे पति दुर्व्यसनों से घिरे हुये हैं और इस कारण कोई धार्मिक कार्य,व्रत या अनुष्ठान नहीं कर पा रही हूं। ऐसे में क्या करूं कि मां शक्ति की कृपा मुझे प्राप्त हो और मुझे मेरे कष्टों से मुक्ति मिले। तब ऋषि ने महिला के कष्टों से मुक्ति पाने के लिये गुप्त नवरात्र में साधना करने के लिये कहा था। ऋषिवर ने गुप्त नवरात्र में साधना की विधि बताते हुये कहा कि इससे तुम्हारा सन्मार्ग की तरफ कदम बढ़ेगा और तुम्हारा पारिवारिक जीवन खुशियों से भर जायेगा।

गुप्त नवरात्रों के नौ दिनों में देवी के नौ स्वरुपों की पूजा की जाती है। मां दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा नवरात्र के भिन्न-भिन्न दिन की जाती है। गुप्त नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस पाठ को करने से मां दुर्गा प्रसन्न होकर अपने भक्तों को मनोवांछित वरदान देती हैं। नवरात्रि में घर में लहसून,प्याज जैसे तामसिक चीजों का प्रयोग बिल्कुल भी नहीं करना चाहिये। हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष माघ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत शनिवार 10 फरवरी 2024 से हो रही है।
वहीं इसका समापन रविवार 18 फरवरी 2024 को होगा।