नई दिल्ली। भ्रामक विज्ञापन केस में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को योग गुरु रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद को भेजे अवमानना नोटिस पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। साथ ही दोनों को व्यक्तिगत पेशी से छूट दी है।
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने पतंजलि आयुर्वेद को एफिडेविट फाइल करने के लिए 3 हफ्ते का वक्त दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एफिडेविट में यह बताएं कि जिन प्रोडक्ट्स का लाइसेंस कैंसिल कर दिया गया है, उनका विज्ञापन वापस लेने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। बेंच ने कहा- बाबा रामदेव का बहुत प्रभाव है, इसका सही तरीके से इस्तेमाल करें।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा- रामदेव ने योग के लिए बहुत कुछ किया है। इस पर जस्टिस हिमा कोहली बोलीं- उन्होंने योग के लिए जो किया है वह अच्छा है, लेकिन पतंजलि प्रोडक्ट्स एक अलग मामला है।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के अध्यक्ष आरवी अशोकन ने बिना शर्त माफी मांगी। अशोकन ने न्यूज एजेंसी PTI को दिए इंटरव्यू में सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणी की थी। इस इंटरव्यू में पतंजलि विज्ञापन केस से जुड़े सवालों पर जवाब दे रहे थे।
जस्टिस हिमा कोहली ने अशोकन से कहा कि आप मीडिया को दिए इंटरव्यू में अदालत की निंदा नहीं कर सकते। अभी हम IMA अध्यक्ष का माफीनामा मानने को तैयार नहीं हैं। डॉ. अशोकन ने कहा था- सुप्रीम कोर्ट के अस्पष्ट बयानों ने प्राइवेट डॉक्टरों का मनोबल कम किया है। 7 मई को कोर्ट ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी और उन्हें नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।