रायपुर। छत्तीसगढ़ शराब घोटाला केस में पूर्व आबकारी मंत्री और कोंटा से कांग्रेस विधायक कवासी लखमा को राहत नहीं मिल रही है। EOW की कोर्ट ने लखमा की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। बता दे की EOW की कार्रवाई से बचने के लिए लखमा के वकील ने कोर्ट ने अग्रिम जमानत पर मंगलवार को सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने आज फैसला सुनाया है।
गौरतलब है कि ईडी कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान 14 दिन के लिए न्यायिक रिमांड बढ़ा दी है। इस मामले में अगली सुनवाई 18 फरवरी को होगी। लखमा के वकील ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि, EOW ने FIR के आधार गिरफ्तारी की है। कवासी लखमा विधायक है। उनकी गिरफ्तारी से पहले सरकार की मंजूरी लेनी थी। लेकिन 17 ए के तहत बिना सरकारी अनुमति के पुलिस कार्रवाई कर रही है।
EOW ने कहा हर महीने मिलते थे 50 लाख
EOW ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए बताया कि तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा को हर महीने 50 लाख रुपए शराब कार्टल से कमिशन दिया जाता था। साथ ही उनके पद में रहते हुए उन्होंने विभाग में हो रही गड़बड़ियों को रोकने के लिए कुछ नहीं किया। इसलिए उनकी अग्रिम जमानत याचिका स्वीकार नहीं की जानी चाहिए। जिसके बाद दोनों पक्षों की तर्क सुनने के बाद जमानत आवेदन खारिज कर दिया है।
21 जनवरी को न्यायिक रिमांड पर भेजा था जेल
इस मामले में आखिरी सुनवाई 21 जनवरी को हुई थी। लखमा को 7 दिन के ED रिमांड के बाद कोर्ट में पेश किया गया था। जहां ED की ओर से कवासी लखमा न्यायिक रिमांड पर भेजने की मांग की गई थी। कोर्ट ने 4 फरवरी को न्यायिक रिमांड पर जेल भेजा था।
ED का आरोप- लखमा सिंडिकेट का अहम हिस्सा थे
ED का आरोप है कि, पूर्व मंत्री और मौजूदा विधायक कवासी लखमा सिंडिकेट का अहम हिस्सा थे। लखमा के निर्देश पर ही सिंडिकेट काम करता था। इनसे शराब सिंडिकेट को मदद मिलती थी। वही शराब नीति बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जिससे छत्तीसगढ़ में FL-10 लाइसेंस की शुरुआत हुई। ED का दावा है कि लखमा को आबकारी विभाग में हो रही गड़बड़ियों की जानकारी थी, लेकिन उन्होंने उसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया।