आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में जिला प्रशासन की ओर से पीडब्ल्यूडी सभागृह में आयोजन किए गए, जिससे सियासी माहौल गरम हो गया है। एक ओर कांग्रेस ने इस आयोजन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी है। वहीं भाजपा ने इसे लोकतंत्र की रक्षा और संविधान के प्रति सम्मान को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।
दुर्ग में जिला प्रशासन का आयोजन और तिरंगा यात्रा
आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के मौके पर दुर्ग जिला प्रशासन ने संविधान हत्या दिवस के अवसर पर कई कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की है। इनमें “तिरंगा यात्रा”, आपातकाल के दौरान लोकतंत्र पर हुए हमले को दर्शाने वाली “फिल्मों का प्रदर्शन, और उन लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान” शामिल है। भाजपा नेताओं का कहना है कि यह आयोजन लोकतंत्र की रक्षा और संविधान के प्रति सम्मान को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण कदम है।
कांग्रेस का विरोध और अरुण वोरा का बयान
इधर, इस आयोजन के खिलाफ कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। दुर्ग में कांग्रेस के पूर्व विधायक अरुण वोरा के नेतृत्व में पार्टी कार्यकर्ताओं ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर इस आयोजन पर विरोध दर्ज कराया। अरुण वोरा ने जिला प्रशासन पर निशाना साधते हुए कहा, भारतीय जनता पार्टी प्रशासन का भाजपाईकरण कर रही है।
यह आयोजन शासन के स्तर पर नहीं, बल्कि भाजपा के संगठनात्मक स्तर पर होना चाहिए था। शासन किसी एक राजनीतिक दल का नहीं है, यह सभी का है। प्रशासन को इस तरह के राजनीतिक आयोजनों में शामिल करना अनुचित और लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।
वोरा ने आगे कहा कि आपातकाल का मुद्दा 50 साल पुराना है और इसे बार-बार उठाकर भाजपा जनता का ध्यान वर्तमान सरकार की नाकामियों से हटाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा संविधान हत्या दिवस के बहाने अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रही है, जबकि वास्तव में यह संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए कांग्रेस के योगदान को नजरअंदाज करने की साजिश है। कांग्रेस ने इस आयोजन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की चेतावनी भी दी है।
विजय बघेल का पलटवार कांग्रेस के विरोध और अरुण वोरा के बयान पर दुर्ग के सांसद विजय बघेल ने तीखा पलटवार किया। उन्होंने कांग्रेस पर आपातकाल के दौरान लोकतंत्र की हत्या का दोषी ठहराते हुए कहा, “कांग्रेस को प्रशासनिक आयोजनों पर सवाल उठाने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
1975 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने न केवल संविधान की हत्या की, बल्कि प्रशासन का दुरुपयोग करके लाखों लोगों को जेल में डाला, प्रेस की आजादी छीनी, और लोकतंत्र को कुचलने का हर संभव प्रयास किया। उस समय प्रशासन को पूरी तरह से कांग्रेस का गुलाम बना दिया गया था। आज जब हम उस काले दौर को याद कर रहे हैं, तो कांग्रेस को अपनी गलतियों पर शर्मिंदगी महसूस हो रही है।”