आर्थिक तंगी के कारण बना नन्हा मूर्तिकार, लोगों को खूब भा रहा है चंदन के बनाए मूर्ति

Chhattisgarh Crimes

नरेंद्र ध्रुव/ छत्तीसगढ़ क्राइम्स

गरियाबंद। कहा जाता हैं कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती हैं, और रास्ते में आनेवाली मुश्किले भी रास्ता नहीं रोक सकती हैं , विश्वाश और दृढ़ निश्चय के साथ चलाया गया तीर भी अंधेरे में लक्ष्य को भेद सकता हैं और काम चाहें कितना बड़ा हो उम्र भी उसे नहीं रोक सकती हैं। और इस बात को सच कर दिखाया हैं ,गरियाबंद जिला मुख्यालय से चंद किलोमीटरकी दूरी पर रहने वाले पंद्रह वर्षीय बालक ने, दो वर्ष पूर्व अपने नन्हें उंगलियों से गणेश जी की प्रतिमा बनाना शुरू किया और आज अपने मेहनत और दृढ़ निश्चय के बदौलत अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारने में जूटा हुआ है।

हम बात कर रहे हैं गरियाबंद से पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव मालगांव में रहने वाले चंदन कश्यप की। जिस उम्र में उसे पढ़ना लिखना और खेलना था तब उसने दो वर्ष पहले घर की माली हालत को देखते हुए कक्षा आठवी की पढ़ाई छोड़कर घर की घर की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए मूर्ति बनाकर अपने परिवार की माली हालत को सुधारने का दृढ़ संकल्प लिया और अपने लगन से मूर्ति गढ़ते हुए उसे गणेश चतुर्थी में बेचकर अपना और अपने परिवार की रोजी रोटी चलाना प्रारम्भ किया । इससे उसकी प्रतिभा तो दो वर्षों में निखर गया वहीं मूर्ति बनाकर उसे बेचने से आर्थिक आय भी होने लगी। इस नन्हें कलाकार ने इस वर्ष विभिन्न प्रकार के सात मूर्ति गढा और सातों मूर्ति पूरा होने के पहले ही बिक भी गया ।

आज नन्हें कलाकार की दृढ़ संकल्प और कठोर परिश्रम के बदौलत परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार तो हो गया वहीं उसके अंदर छुपा प्रतिभा भी सबके सामने आ गया। गौरतलब हैं कि चंदन के पिता लकड़ी मित्री का कार्य करते है तथा उसका एक बड़ा भाई भी है जो बेरोजगार है। बहरहाल इस नन्हें मूर्तिकार की बनाई मूर्तियो की खूब चर्चा हो रही है।