रायपुर. दाऊ कल्याण अस्पताल में एक तीन साल की बच्ची की किडनी से तीन किलो विल्म्स ट्यूमर की सफल सर्जरी की गई है। यह जटिल सर्जरी पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने की है। बच्ची के बाईं किडनी के निचले भाग से एक्सोफाइटिक रुप से यह बढ़ रहा था।
यह ट्यूमर महत्वपूर्ण रक्त वाहिकाओं, महाधमनी और निचली महाशिरा के करीब था। इसके चलते बच्ची के पेट में सूजन हो गई थी। उसे असहनीय दर्द हो रहा था। लगातार दर्द के बाद उसे डीकेएस लाया गया, जहां पीडियाट्रिक विभाग के डॉक्टरों ने उसकी सफल सर्जरी की। बच्ची की सर्जरी करने वाले डॉक्टर नितिन शर्मा से ही जानिए बच्ची को क्या परेशानी थी, यह सफल सर्जरी कैसे की गई?
डॉ. नितिन शर्मा, पीडियाट्रिक सर्जन, डीकेएस
जोखिम बहुत था, सावधानीपूर्वक करनी पड़ी सर्जरी
तीन साल की इस बच्ची के पेट में सूजन और असहनीय दर्द की शिकायत लेकर उसके परिजन डीकेएस लेकर आए थे। सीटी स्कैन और अन्य जांच के बाद पता चला कि उसकी बाईं किडनी में एक बड़ा विल्म्स ट्यूमर था। जो उसकी किडनी और आसपास की प्रमुख ब्लड वेसल्सको भी प्रभावित कर रहा था। यह काफी जटिल सर्जरी थी।
इसमें जोखिम बहुत था। क्योंकि ट्यूमर का किडनी के महत्वपूर्ण हिस्सों और ब्लड सर्कुलेशन सिस्टम से जुड़ाव रहता है। लेकिन सर्जरी जरूरी थी। सर्जरी की प्रक्रिया कई घंटों तक चली खून को रोकने के लिए डॉक्टरों ने काफी सावधानीपूर्वक सर्जरी की। जिसके बाद पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने संवेदनशील ब्लड वेसल्स को बिना नुकसान पहुंचाए पूरे ट्यूमर को सुरक्षित बाहर निकाल दिया।
क्या है विल्म्स ट्यूमर
सर्जरी टीम में शामिल डॉ. नितिन, डॉ. क्षिप्रा शर्मा और डॉ. दीपक सिंह ने बताया कि विल्म्स ट्यूमर (नेफ्रोब्लास्टोमा) बच्चों में पाया जाने वाला एक दुर्लभ कैंसर है, जो आमतौर पर पांच साल से कम उम्र के बच्चों में होता है। यदि इसे समय रहते पहचाना और इलाज किया जाए, तो ठीक होने की संभावना अधिक होती है।
हालांकि एक किडनी पर केवल एक ट्यूमर होता है, लेकिन कभी-कभी दोनों किडनी (द्विपक्षीय) पर ट्यूमर हो सकते हैं। एक किडनी पर एक से अधिक कैंसर वाले स्थान हो सकते हैं। इस बीमारी के लगभग 95% मामलों का निदान तब तक हो जाता है जब तक बच्चा 10 साल का हो जाता है। विल्म्स ट्यूमर लड़कों की तुलना में लड़कियों में थोड़ा अधिक आम है। कुछ मरीजों में विल्म्स ट्यूमर जेनेटिक होता है।