2 जनसूचना अधिकारियों के खिलाफ एक्शन:RTI में बरती लापरवाही, आवेदक को समय पर नहीं दी जानकारी; राज्य सूचना आयुक्त ने लगाया 25-25 हजार का जुर्माना

Chhattisgarh Crimes

रायपुर। छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले में सूचना का अधिकार(RTI) में लापरवाही बरतन वाले 2 जनसूचना अधिकारियों के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया गया है। दोनों के खिलाफ राज्य सूचना आयोग के राज्य सूचना आयुक्त धनवेंद्र जायसवाल ने 25-25 हजार का जुर्माना लगाया है। दोनों ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत लापरवाही बरती थी और समय पर आवेदक को जानकारी उपलब्ध नहीं कराई थी। जिसके चलते दोनों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।

दरअसल, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के शरद देवांगन ने जनसूचना अधिकारी (सचिव) ग्राम पंचायत चिचगोहना और ग्राम पंचायत पथर्रा से एक अप्रैल 2006 से 31 मार्च 2016 के बीच समस्त चेक रजिस्टर,लेजर, कैशबुक एवं मूलभूत मद में किए गए खर्च के सभी वाउचर की प्रति 7 अप्रैल 2016 को मांगी थी।

शिकायतकर्ता ने जनपद CEO को भी किया आवेदन

नियम के मुताबिक आवेदन मिलने के 30 दिन के अंदर पूरी जानकारी आवेदक को देना होता है। इसके बावजूद दोनों ने आवेदक को जानकारी समय पर उपलब्ध नहीं कराई। तब शरद देवांगन ने प्रथम अपीलीय अधिकारी(CEO, जनपद पंचायत मरवाही) को आवेदन किया कि जानकारी उपलब्ध कराएं। इस पर CEO ने दोनों को सूचना उपलब्ध कराने निर्देश दिए, फिर भी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई।

इसके बाद शरद देवांगन ने पूरे मामले की शिकायत राज्य सूचना आयुक्त धनवेंद्र जायसवाल से कर दी। इस पर आयुक्त ने मामले की जांच की तब शिकायत सही पाई गई। जिसके बाद चिचगोहना के जनसूचना अधिकारी बीरबल प्रजापति और ग्राम पंचायत पथर्रा की जनसूचना अधिकारी गीता मार्को से 25-25 जुर्माना वसूलने आदेश जनपद पंचायत मरवाही के CEO को दिए हैं।

सूचना का अधिकार क्या है?

साल 2005 में सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून बनाया गया था। इस कानून के तहत भारत का कोई भी नागरिक सरकार के किसी भी विभाग की जानकारी हासिल कर सकता है। सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 7 में प्रावधान किया गया कि जनसूचना अधिकारी, आवेदक के द्वारा मांग की गई सूचना को 30 दिन के भीतर आवेदक को उपलब्ध कराएगा। कोई जनसूचना अधिकारी जानकारी देने से मना करता है, तो उसको इसका वास्तविक कारण बताना होगा, साथ ही इस संबंध में किसे अपील की जाए इसकी भी जानकारी देगा। सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 20 के तहत अगर कोई जनसूचना अधिकारी निर्धारित समय पर आवेदक को जानकारी नहीं देता है, तो उस पर 250 रुपये प्रति दिवस की दर से जुर्माना लगाया जाएगा। जुर्माने की यह राशि 25 हजार से ज्यादा नहीं होगी। इसके अलावा राज्य सूचना आयोग ऐसे अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की अनुशंसा कर सकते हैं।