नई दिल्ली। कृषि कानूनों पर किसान संगठनों और केंद्र के बीच बुधवार को विज्ञान भवन में सातवें दौर की बातचीत हुई। बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, “आज की बैठक पहले की तरह अच्छे वातावरण में हुई। किसान नेताओं ने 4 मुद्दे चर्चा के लिए रखे थे, उनमें 2 विषयों पर आपसी रजामंदी सरकार और यूनियन के बीच में हुई है।
पहला- एन्वायरमेंट से संबंधित ऑर्डिनेंस में किसान और पराली शामिल हैं। उन्हें चिंता थी कि किसान को इसमें नहीं होना चाहिए। सरकार और किसानों में इस मुद्दे पर रजामंदी हुई है। दूसरा- इलेक्ट्रिसिटी एक्ट जो अभी आया नहीं है। उन्हें लगता है कि किसानों को इससे नुकसान होगा। किसानों को सिंचाई के लिए जो सब्सिडी दी जाती है, वैसी ही चलनी चाहिए। इस मांग पर भी दोनों के बीच रजामंदी हो गई है।’
MSP को कानूनी दर्जे पर फिलहाल सहमति नहीं
तोमर ने कहा- तीन कानूनों को वापस लेने की बात यूनियन करती रही। हमने अपने तर्कों से उन्हें यह बताने की कोशिश की कि किसान की कठिनाई कहां है, जहां कठिनाई है, वहां सरकार खुले मन से विचार को तैयार है। MSP के विषय में भी सरकार पहले से भी कहती रही है कि ये पहले से है और जारी रहेगी। उन्हें ऐसा लगता है कि MSP को कानूनी दर्जा मिलना चाहिए। कानून और MSP पर चर्चा जारी है। हम 4 तारीख को 2 बजे फिर से इकट्ठा होंगे और इन विषयों पर चर्चा को आगे बढ़ाएंगे।
किसानों और सरकार की अगली बैठक 4 जनवरी को
अब 4 जनवरी को केंद्र और किसानों के बीच बातचीत होगी। हालांकि, लंच के दौरान तब बात बनने के आसार दिखे थे, जब किसानों के साथ मंत्रियों ने खाना खाया था। किसान दाल-रोटी तो अपनी ही लाए थे, पर इस बार लंच में उनके साथ कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल भी शामिल हुए।
केंद्र और किसानों के बीच आज आंदोलन के 35वें दिन बातचीत हुई। इसमें 40 किसान संगठनों के नेता शामिल थे। मीटिंग में किसान नेताओं ने मांग रखी कि आंदोलन के दौरान उनके जो साथी मारे गए, उनके परिवारों को इंसाफ और मुआवजा दिया जाए। वहीं, सरकार ने किसानों से कहा कि कानूनों से जुड़ी मांगों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक कमेटी का गठन किया जा सकता है।