नई दिल्ली। कोरोना को महामारी घोषित करने के लगभग एक साल बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने आखिर मान लिया है कि कोरोना का वायरस हवा से भी फैल सकता है। WHO के अनुसार “वायरस खराब वेंटिलेशन या भीड़ वाली बंद जगहों में भी फैल सकता है, जहां लोग लंबे समय तक रहते हैं, क्योंकि एयरोसोल हवा में एक मीटर से भी ज्यादा दूर तक जा सकते हैं।” दरअसल, WHO ने कोरोना से जुड़े सवालों के जवाब अपडेट किए हैं। इनमें इस सवाल का जवाब भी शामिल है कि लोगों के बीच कोरोना कैसे फैलता है? माना जा रहा है कि इसके बाद कोरोना से बचने की नई गाइडलाइंस सामने आ सकती हैं। संगठन अब तक कहता आया था कि इस बात के पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि कोरोना हवा से भी फैलता है।
कोरोना कैसे फैलता है? चीन में 2019 में कोरोना फैलने के बाद से ही इस सवाल पर भारी बहस होती रही
दरअसल, इस बहस के पीछे वैज्ञानिकों के बीच ड्रॉपलेट और एयरोसोल को लेकर मतभेद है। अब तक ज्यादातर वैज्ञानिकों का मानना था कि छींकते, खांसते, गाते या बोलते हुए इंसान की नाक या मुंह से जो छींट या बूंदें निकलती हैं वह ड्रापलेट होती हैं। यानी उनका साइज 5 माइक्रोमीटर से ज्यादा होता है। उनमें कोरोना वायरस होने पर भी वह अपने वजन के चलते दो मीटर से ज्यादा दूर नहीं जा पाते हैं। गुरुत्वाकर्षण के चलते नीचे गिर जाते हैं। यानी कोरोना हवा से नहीं फैलता है । एक माइक्रोमीटर एक मीटर का 10 लाखवां हिस्सा होता है।
वहीं, एक्सपर्ट्स के दूसरे समूह का कहना है कि मुंह और नाक से निकलने वाले छींटों का आकार 5 माइक्रोमीटर से कम भी हो सकता है और वह हवा के साथ बहकर दूर तक जा सकते हैं। यानी कोरोना वायरस हवा से भी फैल सकता है।