आखिरकार क्यों सीएम जगनमोहन रेड्डी को सुप्रीम कोर्ट के नंबर 2 जज के खिलाफ लिखनी पड़ी चिट्ठी ?

Chhattisgarh Crimes

नई दिल्ली। विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में अगर किसी राज्य का सीएम किसी भी न्यायाधीश पर राजनैतिक हस्तक्षेप की बात करता है तो ये सामान्य घटना नहीं हो सकती। यहां हम बात कर रहे हैं आंध्र प्रदेश के सीएम जगनमोहन रेड्डी के उस पत्र (Jagan Mohan Reddy Letter To CJI) की जिसने न्यायिक व्यवस्था को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। लोकतंत्र के चार स्तंभों में तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ है न्यायपालिका। अगर इसके किसी सदस्य पर किसी राज्य के सीएम की तरफ से उंगली उठती है तो स्थिति की गंभीरता को समझा जा सकता है।

जगनमोहन रेड्डी ने लगाया आरोप

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी (AP CM Jagan Mohan Reddy) ने 8 पन्नों का पत्र भारत के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice Of India) शरद अरविंद बोबेड़े (Justice Bobde) को लिखा। CJI बोबड़े के बाद शीर्ष अदालत के दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस रमन्ना (Justice Ramana) और आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के कुछ जज के खिलाफ सरकार को गिराने का आरोप लगाया है। उन्होंने लिखा है कि आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम चंद्रबाबू (EX CM Chandra babu Naidu) नायडू के साथ मिलकर सरकार को अस्थिर किया जा रहा है। दरअसल, ऐसा एक दिन या एक महीने में असंतोष पैदा नहीं हुआ होगा। सरकार और अदालत के बीच ये रंज काफी पहले से चल रहा है।

राज्य में न्याय प्रशासन को प्रभावित करने का आरोप

गौर करने वाली बात ये है कि सीजेआई को यह चिट्ठी 6 अक्टूबर को लिखी गई थी और जगनमोहन रेड्डी इसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Jagan Mohan Reddy) से मिलकर लौटे थे। सूत्रों से मालूम चला कि जगनमोहन रेड्डी ने पीएम से राज्य के विकास और आंध्र प्रदेश पुर्नगठन अधिनियम के तहत फंड के बारे में बातचीत हुई थी।

पत्र को हैदराबाद में मीडिया के सामने शनिवार को जगनमोहन के प्रमुख सलाहकार अजेय कल्लम की तरफ से रिलीज किया गया था। चिट्ठी में उन मौकों का भी जिक्र किया गया है, जब तेलुगुदेशम पार्टी से जुड़े केसों को कुछ सम्मानीय जजों को सौंपा गया। इसके अलावा इसमें कहा गया, ‘मई 2019 में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सत्ता में आने पर जबसे चंद्रबाबू नायडू की सरकार की ओर से जून 2014 से लेकर मई 2019 के बीच की गई सभी तरह की डीलों की जांच के आदेश दिए गए हैं, तबसे जस्टिस एनवी रमन्ना राज्य में न्याय प्रशासन को प्रभावित करने में जुटे हैं।

रेड्डी और अदालत

सीएम ने आरोप लगाया है कि जमीन लेन-देन को लेकर राज्य के पूर्व एडवोकेट जनरल दम्मलपति श्रीनिवास पर जो जांच बैठी, उस पर हाईकोर्ट ने स्टे दे दिया, जबकि एंटी-करप्शन ब्यूरो ने उनके खिलाफ एफआईआर तक दायर कर दी थी। बता दें कि 15 सितंबर को ही हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि एसीबी की तरफ से पूर्व एडवोकेट जनरल पर दर्ज की गई एफआईआर की डीटेल्स मीडिया में रिपोर्ट नहीं की जाए। यह एफआईआर श्रीनिवास पर अमरावती में जमीन खरीद को लेकर दर्ज हुई थी।

क्यों रोका गया मीडिया को

हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जेके माहेश्वरी ने आदेश में कहा था, ‘अंतरिम राहत के माध्यम से यह निर्देशित किया जाता है कि किसी भी आरोपी के खिलाफ इस रिट याचिका को दायर करने के बाद (एफआईआर) दर्ज करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाएगा। जांच भी रुकी हुई है। यह आगे निर्देशित किया जाता है कि (पूर्व के आदेश के अनुसार, एफआईआर, विवरण को रोक दिया गया है) के संबंध में समाचार किसी भी इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट या सोशल मीडिया में सार्वजनिक नहीं किया जाएगा।

जस्टिस रमन्ना पर चंद्रबाबू के साथ सांठगांठ का आरोप

अपनी शिकायत में सीएम जगनमोहन ने कहा कि जस्टिस रमन्ना सरकार को अस्थिर करने में नायडू का साथ दे रहे हैं। वह हाई कोर्ट के काम में दखलअंदाजी कर रहे हैं और जजों को प्रभावित कर रहे हैं। रेड्डी के अनुसार रमन्ना ऐसा टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू के हितों के संरक्षण के लिए कर रहे हैं और वे वर्तमान सरकार को गिराना चाहते हैं। देश में यह पहली बार है कि किसी मुख्यमंत्री ने जज के खिलाफ चीफ जस्टिस से शिकायत की हो, जिसमें न्यायिक सिस्टम को प्रभावित करने की बात की गई हो। जगन ने CJI से आंध्र प्रदेश में जूडिशरी की तटस्थता को बरकरार रखने की गुजारिश की है।