बिलासपुर। छत्तीसगढ़ कैडर के 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी जीपी सिंह के अलावा उनकी पत्नी के पत्नी के खिलाफ पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा दर्ज कराए गए एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) के आय से अधिक संपत्ति के मामले को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है. इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच में हुई.
बता दें कि जीपी सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति समेत राजद्रोह और एक्सटॉर्शन से संबंधित तीन अपराध पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में दर्ज कराए थे. मामले में हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने पूर्व में ही पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर गलत तरीके से दर्ज एफआईआर मान निरस्त कर दिया था. अब उनकी पत्नी मनप्रीत कौर के खिलाफ भी दर्ज एफआईआर रद्द कर दी गई है.
एडीजी जीपी सिंह की पत्नी मनप्रीत कौर के खिलाफ कांग्रेस सरकार में एसीबी/ईओडब्ल्यू ने आय से अधिक संपत्ति मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 12 और आपराधिक षडयंत्र की धारा 120 बी दर्ज किया था. मामले में एसीबी ने कथित तौर पर स्टेट बैंक के ब्रांच मैनेजर मणिभूषण से दो किलो सोना जब्त किया था. यह सोना पार्किंग में खड़ी स्कूटी से जब्त किया गया था. इस स्कूटी को मणिभूषण का बताया गया और दो किलो सोना को आईपीएस जीपी सिंह के अवैध कमाई का हिस्सा बताया गया जिसे खपाने के लिए अपने परिचित में स्टेट बैंक के मैनेजर मणि भूषण को देने की कहानी एसीबी द्वारा बताई गई थी. मामले में जीपी सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला एसीबी द्वारा तो दर्ज किया ही गया था साथ में उनकी पत्नी, माता-पिता और पारिवारिक मित्र के खिलाफ भी दर्ज किया गया था. जीपी सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले को हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने रद्द कर दिया था. जबकि उनके माता-पिता का देहावसान हो चुका है जिसके चलते उनके माता-पिता के ऊपर केस खत्म हो चुका है.
चीज जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की डीबी में जीपी सिंह की पत्नी मनप्रीत कौर की ओर से तर्क प्रस्तुत किया कि मनप्रीत कौर विभिन्न प्राइवेट कॉलेजों में बतौर गेस्ट लेक्चरर काम करती थीं. मनप्रीत कौर की क्वालिफिकेशन एमएससी लाइफ साइंस के अलावा लाइफ साइंस में पीएचडी भी है. उनकी पीसी कल्चर में स्पेशलाइजेशन है. शादी से पहले उन्होंने ट्यूशन और नौकरी के माध्यम से कमाए गए पैसों से सेविंग की थी. शादी के बाद उन्होंने एजुकेशनल कंसलटेंट और पर्सनैलिटी डेवलपमेंट की क्लासेस शुरू की थी. सन 2001 से लेकर 2021 तक उनके पति जीपी सिंह जहां-जहां पदस्थ रहे वहां विभिन्न कॉलेजों में उन्होंने मेहमान प्रवक्ता के तौर पर नौकरी की है जिससे उन्हें आय प्राप्त हुई. इसके अलावा कंसल्टेंसी से भी उन्हें आय प्राप्त हुई. उनकी उनके पति जीपी सिंह के अलावा इंडिविजुअल इन इनकम है. उन्होंने नियमित तौर पर इनकम टैक्स एक्ट 1961 के तहत 2001 से अपनी इनकम टैक्स रिटर्न भरा है. पर उनकी 10 साल की इनकम को एसीबी ने काउंट ही नहीं किया. ना ही एंटी करप्शन ब्यूरो ने उन्हें इस संबंध में कोई समन भेजा और न उनका पक्ष. बिना समन और बिना पक्ष जाने उन्हें आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के लिए अपने पति आईपीएस जीपी सिंह को उकसाने के लिए आरोपी बना दिया गया.
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि भ्रष्टाचार के मामले में मुख्य आरोपी याचिकाकर्ता मनप्रीत कौर के पति आईपीएस जीपी सिंह को बनाया गया था. जिसे अदालत ने ही रद्द कर दिया है.
लिहाजा याचिकाकर्ता के खिलाफ मामला बने रहने का और ट्रायल चलाने का कोई औचित्य नहीं बनता. सभी तर्कों को सुनने के पश्चात चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ता के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है.