पिन कोड लेने के बाद क्लोनिंग से ई-सिम बनाकर 37 लाख ठगी करने वाले दो आरोपी पकड़ाए

अलवर राजस्थान से गिरफ्तार आरोपियों में एक नाबालिग, अन्य की तलाश जारी, ठगी की रकम 8.60 लाख जब्त

Chhattisgarh Crimes

कोरबा। पहले पिन कोड लेकर फिर क्लोनिंग से ई-सिम बनाकर 37 लाख ठगी करने वाले दो आरोपियों को जिले की पुलिस ने राजस्थान के अलवर भरतपुर से पकड़ा है। गिरफ्तार आरोपियों में एक नाबालिग भी है। ठगी में शामिल अन्य आरोपियों की पुलिस सरगर्मी से तलाश कर रही है। ठगी की 8 लाख 60 रुपए भी आरोपियों के पास से जब्त किया गया है।

दीपका निवासी रिटायर्ड एसईसीएल कर्मी भगवान सिंह चौहान ने रिपोर्ट लिखाई थी कि वह बैंक जाकर पता करने पर उसके खाते से अलग-अलग किश्तों में 36 लाख 50 हजार रुपए का आहरण कर लिया गया है। शिकायत सही पाए जाने पर पुलिस ने दीपका थाना में धारा 420, 506, 34 भादवि के तहत अपराध पंजीबद्ध कर जांच शुरू की। साइबर सेल की मदद ली गई तो राजस्थान के अलवर जिले के अंतर्राज्यीय गिरोह के हाथ होने की जानकारी मिली। इसके बाद एएसपी कीर्तन राठौर व दर्री सीएसपी केएल सिन्हा के नेतृत्व में टीम अलवर पहुंची। ठगी की इस घटना को अंजाम देने वाले आरोपी सचिन चौधरी पिता जशवंत चौधरी निवासी अलवचर राजस्थान व एक अन्य नाबालिग को पकडऩे में पुलिस ने सफलता हासिल की। इनके पास से एटीएम, मोबाइल, के्रडिट कार्ड बरामद किया गया है।

गुरुवार को एसपी कार्यालय में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कीर्तन राठौर ने मामले का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि पूछताछ में पता चला है कि पहली बार जिले में क्लोन से ई-सिम तैयार कर ठगी की घटना को अंजाम देने का मामला सामने आया है। ई-सिम बनाकर ठगी की वजह से प्रार्थी के मोबाइल पर राशि आहरण का मैसेज नहीं मिला था। जब वह बैंक गया  तो अलग-अलग किश्तों में रुपए आहरण की जानकारी हुई। जांच में यह भी पता चला कि लोगों की गाढ़ी कमाई पर चूना लगाने अज्ञात ठग गिरोह का टेक्रिकल विंग काम कर रही है। बैंक ट्रांजेक्शन से दूसरे खाते में स्थानांतरित करने की एक चेन बनी हुई है। 7 सदस्यीय पुलिस की टीम अभी भी अलवर राजस्थान में है जो अन्य आरोपियों की सरगर्मी से तलाश कर रही है।

ठगी करने इस तरह लिया था झांसे में

14 नवंबर को अज्ञात नंबर से प्रार्थी भगवान सिंह चौहान के मोबाइल पर कॉल आया। जब उसकी बेटी ने कॉल रिसीव किया तो अंजान व्यक्ति ने उसके दोस्त रिटायर आर्मी बताकर 20 हजार उधारी रकम देना बताया। इसके लिए गुप्त पिन कोड नंबर मांग लिया। इसके बाद क्लोन से ई-सिम तैयार कर लिया गया और अलग-अलग किश्तों में राशि आहरण की गई। इसका मैसेज प्रार्थी के मोबाइल पर आने के बजाय ई-सिम में आया।