रायपुर। छत्तीसगढ़ के सभी 145 कर्मचारी- अधिकारी संगठनों ने एक साथ हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया है। हड़ताल की तारीख तय करने के साथ ही उन्होंने सरकार को भी नोटिस थमा दिया है। वहीं, हड़ताल को सफल बनाने के लिए कर्मचारी नेता प्रदेशभर में सक्रिय हो गए हैं। इस हड़ताल में राज्य के सरकारी अधिकारियों- कर्मचारियों के सभी संगठन शामिल हो रहे हैं। इनमें तृतीय चतुर्थ और द्वितीय श्रेणी के सभी कर्मचारी और अधिकारी शामिल है। इससे सरकार का पूरा कामकाज ठप होने की आशंका है। विधानसभा चुनाव में अब कुछ महीने की शेष है, ऐसे में कर्मचारियों के इस कदम ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है।
जानिए किस वजह से हड़ताल पर जा रहे हैं सभी कर्मचारी संगठन
छत्तीसगढ़ कर्मचारी- अधिकारी फेडरेशन के प्रदेश संयोजक कमल वर्मा के अनुसार कर्मचारी संगठन अपने हक के लिए सरकार से लगातार शांतिपूर्ण तरीके से मांग कर रहे हैं। अफसरों से लेकर मंत्रियों तक को अलग-अलग स्तर पर ज्ञापन सौंपा जा चुका है, लेकिन शासन- प्रशासन की तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है और न ही मांगों के संबंध में सरकार की तरफ से कोई पहल होती दिख रही है। ऐसे में हमें विवश होकर हड़ताल पर जाने का फैसला करना पड़ा है।
कर्मचारी संगठनों ने इन पांच मांगों को लेकर हड़ताल पर जाने का लिय है निर्णय
- छठवें वेतनमान के आधार देय गृह भाड़ा भत्ते को सातवें वेतनमान के आधार पर केंद्रीय दर पर पुनरीक्षित किया जाए।
- राज्य के कर्मचारियों और पेंशनरों को केंद्र के समान देय तिथि से महंगाई भत्ता स्वीकृत किया जाए।
- प्रदेश के कर्मचारियों की विभिन्न मांगों को लेकर गठित पिंगुआ कमेटी एवं सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव की अध्यक्षता में वेतन के लिए गठित समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक किया जाए।
- कांग्रेस पार्टी के घोषणा पत्र के क्रियान्वयन के लिए राज्य के सभी कर्मचारियों को चार स्तरीय वेतनमान क्रमश: आठ, 16, 24 और 30 वर्ष की सेवा अवधि के बाद किया जाए साथ ही अनियमित, संविदा और दैनिक वेतनभोगी कर्मियों को नियमित किया जाए।
- -पुरानी पेंशन का लाभ दिलाने के लिए प्रथम नियुक्ति तिथि से सेवा की गणना की जाए और पूर्ण पेंशन का लाभ अर्हतादायी सेवा 33 वर्ष के स्थान पर 25 वर्ष किया जाए।
क्यों हड़ताल के फैसले से मचा है हड़कंप
प्रदेश में भृत्य, लिपिक, पटवारी, शिक्षक, हेड मास्टर, राजपत्रित, रसोईया, अंगनबाड़ी, कोषालय, संविदा और दैनिक वेतन भोगी सहित जितने भी तरह के अधिकारी और कर्मचारी हैं उनके अलग-अलग संगठन बने हुए हैं। कर्मचारी- अधिकारी संगठन पहले भी आंदोलन करते रहे हैं, लेकिन इस बार इसका व्यापक असर होने की संभावना जताई जा रही है। कारण यह है कि इस बार कर्मचारी यूनियनों के दोनों बड़े संयुक्त संगठन संगठन कर्मचारी- अधिकारी फेडरेशन और कर्मचारी- अधिकारी महासंघ साथ आए गए हैं। कर्मचारी नेताओं के अनुसार प्रदेश में मंत्रालय व संचालनालय से लेकर जिला, ब्लॉक और तहसील स्तर पर कर्मचारियों और अधिकारियों के कई संगठन हैं। काम और विभाग के हिसाब से भी अलग-अलग करीब 145 से अधिक संगठन बने हुए हैं। सभी संगठन कर्मचारी- अधिकारी फेडरेशन और कर्मचारी- अधिकारी महासंघ से जुड़े हुए हैं। दोनों संगठन एक तरह से कर्मचारी संगठनों का संयुक्त संगठन है। प्रदेश में संभवत: ऐसा पहली बार हो रहा है कि सभी कर्मचारी संगठन एक जुट हुए हैं।
एक दिन की हड़ताल, तीन दिन कामकाज प्रभावित
कर्मचारी संगठनों ने सात जुलाई को एक दिन के हड़ताल की घोषणा की है, लेकिन तीन दिन कामकाज प्रभावित रहेगा। कारण यह है कि सात जुलाई को शुक्रवार है। इस दिन आंदोलन की वजह से कर्मचारी- अधिकारी सामूहिक अवकाश पर रहेंगे। इसके बाद शनिवार और रविवार को सरकारी छुट्टी रहेगी। ऐसे में पूरे तीन दिन सरकारी कार्यालय बंद रहेंगे।
सरकार नहीं मानी तो अनिश्चितकाली हड़ताल
कर्मचारी संगठनों ने आंदोलन की जो कार्यक्रम जारी किया है उसके अनुसार सभी संगठन सात जुलाई को एक दिवसीय हड़ताल पर रहेंगे। कर्मचारी संगठन सात जुलाई को सामूहिक अवकाश लेकर जिला, ब्लॉक और तहसील स्र पर धरना, प्रदर्शन और रैली का आयोजन करेंगे। कर्मचारी संगठनों इसकी सूचना सरकार को दे दी है। आंदोलन को लेकर कर्मचारी संगठनों की तरफ से सरकार को जो नोटिस दिया गया है, उसमें स्पष्ट चेतावनी भी है कि यदि सात जुलाई के आंदोलन के बाद भी मांगें पूरी नहीं हुई तो सभी संगठन एक अगस्त से अनिश्चितकाली हड़ताल पर चले जाएंगे।
आंदोलन की रणनीति तय करने हुई बैठक में फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा, चंद्रशेखर तिवारी, बीपी शर्मा, राजेश चटर्जी, संजय सिंह, पंकज पांडेय, सत्येंद्र देवांगन, अजय तिवारी, मनीष मिश्रा, मनीष राजपूत, संतोष वर्मा सहित फेडरेशन के घटक संघो के प्रांताध्यक्ष शामिल थे। महासंघ की ओर से संयोजक अनिल शुक्ला, ओपी शर्मा, करण सिंह अटेरिया, संजय तिवारी, आलोक मिश्रा, रोहित तिवारी, तीरथ लाल सेन सहित महासंघ से जुड़े संघों के प्रांताध्यक्ष बैठक में शामिल हुए। मंत्रालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष महेंद्र सिंह राजपूत और मंत्रालय कर्मचारी संघ के अपील पर टीचर्स एसोसिएशन के संजय शर्मा, वीरेंद्र दुबे आदि ने भी बैठक में शामिल होकर फेडरेशन एवं महासंघ को मिला कर संयुक्त मंच से आंदोलन करने पर सहमति दी है।