अलवर में पति के सामने दलित महिला से गैंगरेप के सभी पांचों आरोपी दोषी करार, चार को उम्रकैद की सजा

Chhattisgarh Crimes

अलवर। राजस्थान के अलवर जिले में पिछले साल 19 साल की दलित महिला से गैंगरेप के सभी पांचों आरोपियों को मंगलवार को एससी/एसटी केसों के लिए गठित विशेष अदालत ने दोषी ठहराया है। इनमें से चार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है तो एक दोषी को पांच साल कैद की सजा दी गई है। अलवर के थानागाजी इलाके में 26 अप्रैल 2019 को एक दलित महिला से पांच लोगों ने उसके पति के सामने गैंगरेप किया।

लोकसभा चुनाव के दौरान यह मुद्दा जोरशोर से उठाया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बहुजन समाज पार्टी चीफ मायावती ने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान एफआईआर में देरी को लेकर राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार को घेरा था। इस बात को लेकर भी राजस्थान सरकार की आलोचना की गई कि घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने से पहले सरकार ने कोई ऐक्शन नहीं लिया।

2 मई 2009 को दर्ज एफआईआर के मुताबिक, चार पुरुषों और एक नाबालिग ने दुहर चौगान के बाद थानागाजी और तलवरीकाश के बीच तीन घंटे तक महिला से गैंगरेप किया। इससे पहले उन्होंने महिला के पति को पीटा। इस दौरान उन्होंने पूरी घटना को कैमरे में कैद भी किया। आरोपियों ने वीडियो को सोशल मीडिया पर नहीं डालने को लेकर पीड़ित से 10 हजार रुपए भी मांगे। सोशल मीडिया पर यह वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने केस दर्ज किया था।

एफआईआर दर्ज होने के 16 दिन बाद 18 मई 2019 को पुलिस ने चार्जशीट दायर की। छोटे लाल (22), हंसराज गुर्जर (20), अशोक कुमार गुर्जर (20) और इंद्राज सिंह गुर्जर (22) पर आईपीसी की धारा 147 (दंगा), 149 (गैरकानूनी तरीके से एकत्रित होना), 323 (चोट पहुंचाना), 327 (वसूली के लिए क्षति पहुंचाना), 342 (गलत तरीके से कब्जे में रखना) 253डी (एक महिला का शील भंग करना), 365 (किडनैपिंग), 376 ऊ (गैंगरेप), 384 (वसूली), 395 (डकैती) और 506 (आपराधिक धमकी) जैसी धाराओं के तहत केस दर्ज किया।

पुलिस ने एसएसी/एसटी ऐक्ट और आईटी ऐक्ट की विभिन्न धाराओं में भी केस दर्ज किया। पाचंवें आरोपी मुकेश गर्जुर (28) पर आईटी ऐक्ट की विभिन्न धाराएं लगाई गईं, क्योंकि उसने वीडियो को सोशल मीडिया पर अपलोड किया था। अभियोजन ने 32 गवाहों को पेश किया। नाबालिग का ट्रायल अभी जिला और सत्र न्यायालय में हैं।

राज्य सरकार ने मामले में लापरवाही बरतने की वजह से तबके एसपी राजीव पाछर को हटा दिया था और थानागाजी के एसएचओ सरदार सिंह को सस्पेंड कर दिया था। पिछले साल 7 जून को राजस्थान सरकार ने एसएचओ के खिलाफ एफआईआर का आदेश दिया था।