नक्सलियों के गढ़ में सीजर, शिवा और टोनी ने ढूंढे हैं 200 किलो से ज्यादा IED

Chhattisgarh Crimes

जगदलपुर। बस्तर के बीहड़ों में फोर्स का नक्सलियों के खिलाफ सर्च ऑपरेशन चलाना आसान नहीं होता है। माओवादी सुराक्षाबलों को नुकसान पहुंचाने के मंसूबे से जगह-जगह IED प्लांट करते हैं और स्पाइक होल बनाकर रखते हैं। ऐसे में जमीन में दबे मौत के सामान को बरामद करने के लिए फोर्स के खोजी कुत्तों की अहम भूमिका होती है। इंटरनेशनल डॉग डे पर हम आपको बता रहे हैं दंतेवाड़ा पुलिस के 3 डॉग के बारे में, सीजर, शिवा और टोनी नाम के इन डॉग ने अब तक 200 किलो से ज्यादा बारूद ढूंढने में पुलिस की मदद की है। वहीं, ऑपरेशन के दौरान भी कई जवानों की जिंदगी बचाई है।

लगभग 4 साल से भी कम उम्र के ये तीनों डॉग को जवान अपने साथ लेकर चलते हैं। सीजर, टोनी और शिवा तीनों IED के साथ कई स्पाइक्स भी ढूंढ निकाले हैं। टोनी के हैंडलर आरक्षक कामता प्रसाद भारती हैं, तो सीजर के तनुज कुमार टोप्पो। इन डॉग्स ने ज्यादातर पोटाली, नहाड़ी, ककाड़ी, बुरगम जैसे इलाकों में प्रेशर IED, कमांड IED और पाइप बम खोजने में मदद की है। ये ऐसे इलाके हैं जहां फोर्स को नुकसान पहुंचाने नक्सली कदम-कदम पर बारूद बिछा कर रखते हैं।

सबसे पहले चलते हैं डॉग, पीछे रहती है बटालियन

जंगल में फोर्स नक्सलियों के खिलाफ जब भी सर्च ऑपरेशन पर निकलती है उनमें सबसे आगे खोजी कुत्ते रहते हैं। फिर बम निरोधक दस्ता की टीम और अंतिम में जवान सर्चिंग करते हुए आगे बढ़ते हैं। इन डॉग्स को IED ढूंढने की स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है। फोर्स के पास ज्यादातर लैब्राडोर नस्ल के डॉग होते हैं। वहीं जवानों को सबसे ज्यादा पतझड़ के मौसम में IED का खतरा होता है। मौसम में जंगल में माओवादी सूखे पत्तों के नीचे आसानी से बम प्लांट करते हैं। इस समय IED ढूंढने इन्हीं डॉग्स की ज्यादा मदद ली जाती है।

बेल्जियम और लैब्रा नस्ल के डॉग दिलाते हैं ज्यादा सफलता

वर्तमान में बस्तर में फोर्स के पास जितने भी डॉग हैं उनमें सबसे ज्यादा बेल्जियम और लैब्राडोर नस्ल के हैं। इन दोनों नस्ल के डॉग्स की अपनी-अपनी खासियत होती है। लैब्राडोर डॉग एक ऐसा नस्ल है जिनमें सूंघने की क्षमता अन्य डॉग्स से सबसे ज्यादा होती है। हालांकि, एक साथ लंबी दूरी तय करनी लैब के लिए थोड़ी मुश्किल होती है, क्योंकि इनके वजनी शरीर के चलते ये जल्दी थक जाते हैं। ऐसे में फोर्स को बार-बार रुकना भी पड़ता है। इनकी खासियत है कि IED ढूंढने में ये माहिर होते हैं। लैब्रा डॉग काफी शांत और मिलनसार स्वभाव के भी होते हैं।

फोर्स अब बेल्जियम शेफर्ड नल्स के कुत्तों को भी रखना शुरू कर दी है। भेड़िए की तरह दिखने वाले ये नस्ल काफी चतुर और फुर्तीले होते हैं। ये कुत्ते स्वभाव से काफी आक्रामक होते हैं। साथ ही नक्सल ऑपरेशन में ये फोर्स के साथ लंबी दूरी भी तय कर लेते हैं। इनमें भी सूंघने की क्षमता अधिक होती है लेकिन लैब्रा डोर से कम। बेल्जियम शेफर्ड जंगल और पहाड़ों में चढ़ने और उतरने के साथ लंबी छलांग लगाने में भी काफी माहिर होते हैं।