हालांकि, दसवीं के बाद छात्रों को हाई स्कूल और कॉलेज जाने के लिए एक किलोमीटर से अधिक पैदल चलना पड़ता है। छात्र स्टिक के सहारे नेशनल हाईवे से होकर स्कूल जाते हैं। इस दौरान वाहनों से दुर्घटना का खतरा बना रहता है।
छात्रों को बैठना पड़ता है सामान्य कक्षाओं में
इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी आरपी मीरे ने बताया कि स्पेशल शिक्षक नहीं होने से छात्रों को सामान्य कक्षाओं में बैठना पड़ता है। वे बोर्ड नहीं देख पाते हैं। कक्षा की कार्रवाई रिकॉर्ड करके छात्रावास में टीचरों से समझते हैं।
दिव्यांग छात्रावास के केयरटेकर राकेश बरसैयां ने सामाजिक संस्थाओं और अधिकारियों से मदद की अपील की है। उनका कहना है कि कम खर्च में छात्रों के आवाजाही की व्यवस्था की जा सकती है।