रविवार की शुरुआत रायगढ़ की नन्ही बालिका आराध्या सिंह की शास्त्रीय संगीत प्रस्तुति से हुई। उन्होंने राग वृंदावली सारंग में छोटा खयाल, तीन ताल, द्रुत लय, तराना और मीरा भजन प्रस्तुत कर कार्यक्रम को संगीतमय बना दिया। आराध्या पिछले चार वर्षों से चक्रधर कला और संगीत महाविद्यालय में गुरु माता चंद्रा देवांगन से प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं।
कथक में शैलवी और अश्विका का जादू
रायगढ़ की 14 वर्षीय शैलवी सहगल ने कथक नृत्य से दर्शकों का मन मोह लिया। वहीं, कोरबा की अश्विका साव ने अपनी कथक प्रस्तुति से ऐसा जादू बिखेरा कि दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। उनकी प्रस्तुति में सुर, ताल और लय का अद्भुत संगम देखने को मिला।
भरतनाट्यम में आद्या की गूंज
भिलाई की 16 वर्षीय आद्या पाण्डेय ने भरतनाट्यम की प्रस्तुति से सभागार को गूंजा दिया। आद्या अब तक 25 राष्ट्रीय और 3 अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुकी हैं। उन्होंने भरतनाट्यम की शिक्षा 4 वर्ष की आयु में प्रारंभ की और अपने गुरु डॉ. जी. रतीश बाबू से प्रशिक्षण प्राप्त किया।
अन्विता की लखनऊ घराने की प्रस्तुति
रायपुर की 11 वर्षीय अन्विता विश्वकर्मा ने लखनऊ घराने की अद्भुत कथक प्रस्तुति दी। उन्होंने उठान, विष्णु वंदना, ठाठ, आमद, बोल-तोड़े, परन, कविता रूपी ठुमरी और तत्कार की विभिन्न शैलियों से दर्शकों का दिल जीत लिया।
मृन्मयी का अनुभव और अंतरराष्ट्रीय पहचान
दुर्ग की भरतनाट्यम नृत्यांगना एमटी मृन्मयी ने अपनी प्रस्तुति से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। वह अब तक 1300 से अधिक मंचों पर एकल प्रस्तुतियां दे चुकी हैं और बैंकॉक, मलेशिया सहित कई देशों में भारतीय शास्त्रीय नृत्य परंपरा का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं।