इसी बीच शीतल को आंत की बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। उसका बड़ा ऑपरेशन हुआ, जिसमें 10 यूनिट खून चढ़ाया गया। ऑपरेशन सफल रहा, लेकिन अस्पताल के खर्च ने परिवार की आर्थिक स्थिति और खराब कर दी।
पति ने लगाई फांसी
वार्ड पूर्व पार्षद उषा ठाकुर के अनुसार, घर की बिजली कट चुकी थी। पूरी जिम्मेदारी नाबालिग बेटे पर आ गई थी। इन परिस्थितियों से टूटकर 31 अगस्त को शाम 4 बजे तिलक ने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। लेकिन परिवार ने शीतल को पति की मौत की खबर नहीं दी। दूसरे दिन पत्नी की भी मौत
लेकिन संयोग से एक घंटे बाद ही अस्पताल में शीतल की भी हालत बिगड़ने लगी। डॉक्टरों की कोशिशों के बावजूद 1 सितंबर की सुबह 5 बजे शीतल ने भी दम तोड़ दिया। अब उनके दोनों बच्चे अकेले हैं। एक जेल में है और दूसरा नाबालिग है। मोहल्ले वाले कहते हैं कि, यह दंपती जीवनभर साथ रहा और मौत भी उन्हें ज्यादा देर अलग नहीं रख सकी