परिजनों का आरोप है कि घटना के बाद हॉस्टल प्रबंधन ने पहले छात्रा को बेहोश बताया और घटना की वास्तविक सूचना देने में देरी की। गांव के सरपंच मोती राम मरकाम ने बताया कि हॉस्टल प्रशासन ने सुबह करीब 10:45 बजे सूचना दी कि छात्रा बेहोश है। छात्रा के परिवार को दोपहर 12 बजे वास्तविकता का पता चला।
परिजनों का आरोप है कि यदि समय पर सूचना दी जाती, तो शायद बच्ची को बचाया जा सकता था।
सूचना मिलते ही एसडीएम अजय उरांव, तहसीलदार, शिक्षा विभाग के अधिकारी और पुलिस मौके पर पहुंचे। घटना की जांच जारी है। व्यवस्था पर उठे सवाल
बता दें कि आदिवासी छात्रावासों और आश्रमों में छात्र-छात्राओं द्वारा आत्महत्या की लगातार घटनाएं सामने आ रही हैं। इससे आदिवासी विकास विभाग की कार्यप्रणाली, देखरेख और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। अभिभावक अब अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।