
जारी निलंबन आदेश के साथ ही एसएसपी रजनेश सिंह ने डीएसपी हेडक्वार्टर को जांच अधिकारी नियुक्त किया है। उन्हें वायरल वीडियो और उस पर लगाए गए आरोपों की प्रारंभिक जांच कर दस्तावेजों के साथ सात दिन में प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
हेड-कॉन्स्टेबल समेत अन्य पुलिसकर्मियों पर नहीं हुई कार्रवाई
मानिकचौरी के रहने वाले शिकायतकर्ता जोगी नायक ने वीडियो वायरल करने के साथ ही पूरे मामले की शिकायत मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और गृहमंत्री विजय शर्मा से की है। अपनी शिकायत में पीड़ित ने बताया कि उसे 6 अक्टूबर की शाम हेड कॉन्स्टेबल हरवेंद्र खुंटे ने पचपेड़ी थाने के सरकारी क्वार्टर में बुलाया था।
उसके साथ आरक्षक गजपाल जांगड़े, अजय मधुकर और मुरीत बघेल भी मौजूद थे। उन्होंने मिलकर उसे शराब के केस में जेल भेजने की धमकी दी, जिसके बाद उसका नाम गुंडा लिस्ट में होने के नाम पर भयादोहन किया। पुलिसकर्मियों ने उससे 2 लाख रुपए की मांग की थी। लेकिन, 1 लाख 5000 रुपए में सौदा तय हुआ। हालांकि, एसएसपी रजनेश सिंह ने पीड़ित की शिकायत पर हेड-कॉन्स्टेबल और बाकी पुलिसकर्मियों के खिलाफ अभी कोई कार्रवाई नहीं की है।
अब पीड़ित और उसकी पत्नी को आरोपी बता रही पुलिस
आरक्षक के रिश्वत लेते हुए वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहा है। साथ ही पुलिस की छवि भी धूमिल हो रही है। पचपेड़ी टीआई श्रवण टंडन अपने मातहत पुलिसकर्मियों के बचाव में आ गए हैं। उन्होंने पुलिस अफसरों को बताया कि जोगी नायक आदतन बदमाश है। उसके खिलाफ थाने में आठ और उसकी पत्नी के खिलाफ 2 केस दर्ज है।
वहीं, आरक्षक गजपाल जांगड़े ने अपनी सफाई में पुलिस अफसरों को बताया कि मई में उसने जोगी नायक को दो लाख रुपए उधार दिए थे, जिसे वो लेने गया था। हालांकि, अब तक उसकी तरफ से इससे जुड़ा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है।