
कांग्रेस ने आयोग पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया है कि आयोग अब एक स्वतंत्र संस्था नहीं, बल्कि केंद्र सरकार के अधीन विभाग की तरह काम कर रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि चुनाव आयोग ने मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) से जुड़ी बैठकों में किसी भी राजनीतिक दल को शामिल नहीं किया।
बघेल ने कहा, “लोकतंत्र का अस्तित्व राजनीतिक दलों से है। अगर किसी एक दल को ही तवज्जो दी जाएगी, तो भारत और चीन में क्या फर्क रह जाएगा? आयोग का रवैया निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है।
कांग्रेस के आरोपों पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उपमुख्यमंत्री अरूण साव का कहना है कि आयोग की कार्यप्रणाली पूरी तरह कानूनी और पारदर्शी है। “किसी मतदाता का नाम सूची में सही है या नहीं, यह जांचना आयोग का दायित्व है।
अगर कोई नाम गलत ढंग से जुड़ा है तो उसे हटाना गलत कैसे हो गया? कांग्रेस को पारदर्शिता से दिक्कत है, इसलिए वे बेबुनियाद आरोप लगा रही हैं।”
क्या है विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR)
SIR यानी Special Intensive Revision मतदाता सूची को अपडेट करने की एक प्रक्रिया है। इसका मकसद हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में वोटरों की सटीक और अद्यतन सूची तैयार करना है। हाल ही में बिहार में SIR की प्रक्रिया 10 सितंबर 2025 को पूरी हुई थी।
अब चुनाव आयोग इसे पूरे देश में लागू करने की तैयारी कर रहा है ताकि आने वाले चुनावों में वोटिंग सिस्टम और अधिक पारदर्शी हो सके।
चुनाव आयोग ने सभी मुख्य चुनाव आयुक्तों को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। जानकारी के मुताबिक, चार से पांच दिनों में यह प्रक्रिया देशभर में शुरू हो जाएगी और तीन महीनों में पूरी हो सकती है।
यह काम दो चरणों में होगा। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख जैसे राज्य, जहां जल्द ही बर्फबारी शुरू हो जाएगी, उन्हें शुरुआती चरण से फिलहाल बाहर रखा गया है।
जहां कांग्रेस इसे लोकतांत्रिक संस्थाओं पर असर डालने की कोशिश बता रही है, वहीं भाजपा का कहना है कि यह प्रक्रिया चुनाव को निष्पक्ष बनाने की दिशा में एक जरूरी कदम है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनों में यह मुद्दा और गर्मा सकता है, क्योंकि चुनाव से पहले आयोग की विश्वसनीयता पर बहस विपक्ष की रणनीति का अहम हिस्सा बनती जा रही है।
क्या कहा भूपेश बघेल और अरुण साव ने
पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने अपनी पहचान खो दी है, SIR कर रहे हैं तो जितने भी राजनीतिक दल हैं, उनके साथ बैठक करनी चाहिए थी, किसके लिए कर रहे हैं, प्रजातंत्र तंत्र के लिए कर रहे हैं, लोकतंत्र का वजूद राजनीतिक दलों से है, निर्वाचन आयोग अब आयोग नहीं रहा, वो केंद्र सरकार के अधीन एक विभाग की तरह व्यवहार कर रहे हैं।
वहीं, पलटवार करते हुए उप-मुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि कांग्रेस के नेता हमेशा से देश के संविधान, देश की सेना पर सवाल उठाने का काम लगातार करते रहे हैं, भूपेश बघेल वही कर रहे हैं।
चुनाव आयोग जैसी संस्था आई है, उसमें किसी को क्या आपत्ति हो सकती है कि किसी भी मतदाता जिसका नाम मतदाता सूची में डाला जाए, उसकी सत्यता की जांच करना और गलत ढंग से जो भी नाम जुड़े हैं, उनको हटाना ये कहां से गलत हो सकता है, आपकी सोच गलत है, इसलिए आप चुनाव आयोग पर निराधार आरोप लगा रहे हैं।