
रंगोली बनने के बाद गौ माताओं को फलों और सब्जियों की दावत दी गई। गौशाला का यह छठवां विश्व रिकॉर्ड गौ सेवा, पर्यावरण संरक्षण और भारतीय संस्कृति के प्रति उसकी अटूट निष्ठा को दर्शाता है। गाय धरती, जल, वायु और पर्यावरण की रक्षक
मनोहर गौशाला के ट्रस्टी डॉ. अखिल जैन (पदम डाकलिया) ने बताया कि गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास माना गया है। उन्होंने कहा कि गाय धरती, जल, वायु और पर्यावरण की रक्षक है, जो वायु प्रदूषण कम करती है, मिट्टी को उर्वर बनाती है और मानव स्वास्थ्य के लिए प्राणवायु को शुद्ध करती है।
डॉ. जैन के अनुसार, यह केवल आस्था नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक सत्य है कि गाय के बिना प्रकृति का चक्र अधूरा है। उन्होंने जोर दिया कि ऐसे आयोजन संस्कृति, विज्ञान और पर्यावरण के बीच सेतु का कार्य करते हैं, जिससे समाज में श्रद्धा, उत्साह और पर्यावरण-प्रेम का नया संदेश जाता है।
समाज के लिए प्रेरणादायी युवा
उन्होंने गौभक्त चमन डाकलिया को समाज के लिए प्रेरणादायी युवा बताया। उन्होंने कहा कि चमन ने अपने जन्मदिन को ‘गौ सेवा दिवस’ के रूप में मनाकर एक अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है। पिछले वर्ष भी उन्होंने 2000 किलोग्राम फल और सब्जियों से रंगोली बनाकर गौ माताओं को समर्पित की थी, जिसने पूरे प्रदेश में प्रेरणादायी संदेश दिया था। छठवीं बार विश्व रिकॉर्ड में नाम दर्ज कर मनोहर गौशाला ने यह सिद्ध किया है कि जहां गौ सेवा है, वहीं संस्कृति, विज्ञान और समृद्धि का
संगम है।